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Author: Kishore Kumar
Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com
समन्वित योग के प्रणेता थे स्वामी शिवानंद सरस्वती
स्वामी शिवानंद सरस्वती बीसवीं सदी के अद्भुत संत थे। यौगिक शक्तियां असीम थीं। उनका जीवन ईश्वर के नियमों के अनुरुप संचालित था। प्रेम, सेवा और दान उनका मूल मंत्र था, जो महर्षि पतंजलि से इत्तर उनके द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग के महत्वपूर्ण अंग थे। स्वामी शिवानंद सरस्वती ने जीवन के विविध आयामों का वैज्ञानिक अध्ययन किया और उसे जनोपयोगी बनाकर जनता के समक्ष प्रस्तुत किया। वे अपने शिष्यों के रोगों का वेदांत दर्शन की एक विधि से इलाज करते थे और वे ठीक भी हो जाते थे। वे एक मंत्र देते थे – “मैं अन्नमय कोष से पृथक आत्मा हूं,…
हरे कृष्ण हरे राम मंत्र की शक्ति, आक्रमणों से कहां दबती
किशोर कुमारएसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के श्रीकृष्ण भावनामृत अभियान और इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) पर दुनिया के किसी भी कोने में जब-जब हमले हुए, इस्कॉन की शक्ति बढ़ती ही गई। इतिहास गवाह है कि जब-जब आसुरी शक्तियों ने दैवी शक्तियों से भिड़ने की कोशिश की, दैवी शक्तियों को ही विजय श्री की प्राप्ति हुई। चिन्मय मिशन के संस्थापक स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने श्रीमद्भगवतीता के भाष्य में लिखा है कि हिंदू धर्म समस्याओं से भागने को नहीं कहता, बल्कि मोर्चे पर डटे रहकर स्वयं में और अपने आसपास के संसार में विश्वास रखते हुए तथा अपनी भीतरी व बाहरी…
आहार, नीरोग काया और स्वामी शिवानंद सरस्वती
बीसवीं सदी के महानतम संत ऋषिकेश स्थित डिवाइन लाइफ सोसाइटी के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती यदि भौतिक शरीर में होते तो 8 सितंबर को शिष्यों के साथ 137वां जन्मदिन मना रहे होतें। इसी साल उनके संन्यास के भी एक सौ साल पूरे हुए। संन्यास शताब्दी समारोह में दुनिया भर के योगियों, संन्यासियों और भक्तों का जैसा जुटान हुआ था, वह उनकी अद्भुत यौगिक शक्ति और सर्वव्यापकता का ही परिणाम था। प्रेम, सेवा और दान को समाहित करता हुआ उनका अष्टांगीय योग-मार्ग आज भी दुनिया भर के साधकों के लिए आध्यात्मिक राजपथ बना हुआ है। उनसे शुरू हुई गुरू-शिष्य परंपरा समृद्ध…
साजिश ऐसी हुई कि जो सच है, हमसे ओझल है
किशोर कुमार //“नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….. गोकुल के भगवान की, जय कन्हैया लाल की…… “ जन्माष्टमी के मौके पर ब्रज में ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया के तमाम भक्त इस बोल के साथ दिव्य आनंद में सराबोर होते हैं। सर्वत्र उत्सव, उल्लास और उमंग का माहौल होता है और वातावरण भजन-संकीर्तन से गूंजायमान। क्यों? क्योंकि श्रीकृष्ण के चरित्र में एक ही साथ प्रेम, ज्ञान, वैराग्य, धैर्य, उदारता, करुणा, साहस सब कुछ हैं। वे लीलाधर हैं, महान् दार्शनिक हैं, महान् वक्ता हैं, महायोगी हैं, योद्धा हैं, संत हैं….और भी बहुत कुछ। तभी सदियों से सबके हृदय में विराजते…
ताकि बच्चे अपराधी नहीं, प्रतिभाशाली बन सकें
किशोर कुमार भारत में गैंग रेप की घटनाएं अब चौंकाती नहीं। चेताती जरूर हैं। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कानून बनाती जाती है। पर “ज्यों-ज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता ही गया” वाली कहावत चरितार्थ होती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में ‘गैंगरेप’ का किसी भी रूप से कोई जिक्र नहीं होता। बेंगलुरू स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया में क्रिमिनोलॉजी एंड विक्टिमोलॉजी के प्रोफेसर के. चोकलिंगम का बयान हमें याद है। उन्होंने कहा था, ”हमें आंकड़े चाहिए, अपराधियों की प्रोफाइल चाहिए, लेकिन भारत में ऐसा कुछ भी नहीं है।” पर इतना तय है कि गैंग रेप…
आयुष शिखर सम्मेलन : योगियों और चिकित्सा विज्ञानियों का महाकुंभ
किशोर कुमार// वेदों में आचार, व्यवहार, आध्यात्मिक जीवन, ज्योतिष आदि जीवन के विविध आयाम हैं तो स्वास्थ्य – चिकित्सा भी एक महत्वपूर्ण आयाम है। सच कहिए तो चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों की जड़ें वेदों में निहित है। चिकित्सा की जितनी भी पारंपरिक प्रणालियों से हम सब वाकिफ हैं, उन सबका संबंध किसी न किसी देवता से माना गया है। वेद ग्रंथों में इसका उल्लेख जगह-जगह मिलता है। जैसे, चरक संहिता हो या सुश्रुत संहिता, दोनों में ब्रह्मा जी को ही प्रथम उपदेष्टा माना गया है। इसी तरह भगवान शिव आदियोगी तो हैं हीं, ऋग्वेद में उनका वर्णन एक चिकित्सक के रूप…
पाठ्यक्रम में पुनर्जन्म : हंगामा है क्यों बरपा?
किशोर कुमार // भारत के शिक्षण संस्थानों में छात्रों को यौगिक और आध्यात्मिक शिक्षा का प्रचलन बढ़ना कोई इत्तेफाक नहीं है। बीज पहले से थी, इसे आज नहीं तो कल अंकुरित होना ही था। हमारे वैज्ञानिक संत अनादिकाल से कहते रहे हैं कि आत्मा नित्य है। इसका अस्तित्व शाश्वत है और यह जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से गुजरती है। इसी प्रक्रिया में चेतना का विस्तार होगा और…
आईआईटी, मंडी के पाठ्यक्रम में पुनर्जन्म से लेकर श्रीमद्भगवत गीता और योग तक
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी में बीटेक छात्र अब ‘पुनर्जन्म’ और अंतर्यात्रा को एक विषय के रूप में अनिवार्य रूप से पढ़ेंगे। हालांकि आईआईटी के इस फैसले को लेकर विवाद शुरू हो गया है और सोशल मीडिया में पक्ष-विपक्ष में कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।सूत्रों के मुताबिक, इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष के छात्रों को “इंट्रोडक्शन टू कंशियसनेस एंड वेलवीइंग” पढ़ाया जाएगा। यह कोर्स भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) विभाग द्वारा पेश किया गया है। भारतीय ज्ञान प्रणाली विभाग की स्थापना सन् 2020 में की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक भारतीय ज्ञान को बढ़ाना देना है।…
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