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Author: Kishore Kumar
Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com
वैदिक सूर्योपासना और छठ महापर्व की महिमा
चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ कल यानी पांच नवंबर को नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हो जाएगा। पर, शारदा सिन्हा के सुमधुर छठ गीतों से बीते कई दिनों से पूरा वातावरण गूंजायमान है। ये वही शारदा सिन्हा हैं, जो कोई चार-पांच दशकों से छठ व्रतियों के दिलों पर राज कर रही हैं और जिन्हें पद्मश्री से लेकर पद्मभूषण तक का सम्मान मिल चुका है। हाल के वर्षों में अनेक गायकों ने छठ पूजा के गीत गाए और उनके एलबम जारी किए गए। पर, शारदा सिन्हा के गीतों के बिना बात बनती नहीं। सब कुछ सूना-सूना लगता है। यह कहना…
दीपावली : इच्छाओं की पूर्ति का मार्ग बदले तो बने बात
दीपावली के दिन आमतौर पर हम सब क्या करते हैं? आसुरी शक्तियों का नाश और प्रभु श्रीराम के अयोध्या आगमन पर दीपोत्सव की चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हैं। खुद के आध्यात्मिक उत्थान के लिए बृहदारण्यक उपनिषद के मंत्र “ॐ असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर् गमय, मृत्योर् मा अमृतं गमय….” की व्यावहारिक साधना करते हैं और सुख-समृद्धि के लिए लक्ष्मी जी का पूजन करते हैं। कभी कामनाएं फलीभूत होती हैं और कभी नहीं। वैदिक ज्ञान से ज्ञात होता है कि आत्मा अमर है, शरीर नश्वर है और आत्मा का ज्ञान ही अज्ञान से मुक्ति है। अंधकार का…
सांस्कृतिक समन्वय का साधन है योग
बीसवीं सदी के प्रारंभ में योग और विज्ञान का समन्वय करके योग को जनोपयोगी रुप में प्रस्तुत करने वाले स्वामी कुवल्यानंद द्वारा स्थापित कैवल्यधाम, लोनावाला के शताब्दी वर्ष के मौके पर यूं तो अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। पर, “योग – सांस्कृतिक समन्वयन का एक साधन और उसका आध्यात्मिक पक्ष” विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में सांस्कृतिक सद्भाव और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने में योग की महती भूमिकाओं पर योगियों और संतों के सारगर्भित व्याख्यान लंबे समय तक याद किए जाएंगे।वैसे तो दो दिनों के सम्मेलन में परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती, अहिंसा विश्व…
मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान : योग की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रकाश स्तंभ
जी हां, आपने सही पढ़ा। योग की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रकाश स्तंभ है मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान। अनेक सरकारी संस्थानों की वर्षों-वर्षों जैसी दशा बनी रहती है, उसके आधार पर इस संस्थान को लेकर भी कुछ लोगों में गलत धारणा बनी हो सकती हैं। पर, हकीकत इसके उलट है। इस संस्थान की स्थापना योग के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के मकसद से की गई थी। इस मकसद में कितनी कामयाबी मिली, इसकी समीक्षा हो तो बेहतरी की संभावना की आशा रखते हुए कहना होगा कि दिल्ली का यह महत्वपूर्ण संस्थान योग विज्ञान व कला को विकसित करने, उसे…
अपने भीतर के रावण और महिषासुर का वध हमें भी करना है
परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती //विजया दशमी भारत में दो संप्रदायों द्वारा वैष्णव और शाक्त मनाया जाने वाला त्यौहार है। नवरात्रि का समापन विजयादशमी के साथ होता है। वैष्णव इसे रावण पर राम की जीत के रूप में मानते हैं और शाक्त इसे राक्षस महिषासुर पर देवी की जीत के रूप में मानते हैं। राम और रावण ऐतिहासिक व्यक्ति हैं; हालाँकि, समय बीतने के साथ इतिहास इतिहास नहीं रह जाता, यह पौराणिक कथाओं में बदल जाता है और फिर वही वास्तविकता बन जाती है।पौराणिक कथाओं में राम और रावण को सत्य और असत्य, सत्य और असत्य के प्रतिनिधि के रूप में…
शक्ति की उपासना मनुष्य को ऐसे रुपांतरित कर देती है
शारदीय नवरात्रि में सर्वर्त्र दुर्गा सप्तशती का पाठ करके माता के विभिन्न रुपों की आराधना की जा रही है। इस दौरान हम देखते हैं कि किस तरह महाकाली मधु, कैटभ और महिषासुर का, महालक्ष्मी चंड, मुंड और धूम्रलोचन का औऱ महासरस्वती रक्तबीज, निशुंभ और शुंभ का वध करती हैं। असुरों और शक्ति के बीच की इस लड़ाई के आध्यात्मिक संदेशों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि इससे विशेष भावनाओं, विचारों, इच्छाओं आदि की सीमित या नकारात्मक प्रकृति के बारे में अधिक जागरूक होने में मदद मिलती हैं। जीवन में सकारात्मक विकास होता है। हम जानते हैं कि शारीरिक व मानसिक…
नवरात्रि : देवी के शक्ति स्वरूपों का महापर्व
नव संवत्सर की शुरुआत ही देवी की आराधना से होगी। सृष्टि की रचना देवी से हुई थी। ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीकात्मक रूप भी वे ही हैं। उपनिषद में कहा गया है कि पराशक्ति ईश्वर की परम शक्ति है। यही विविध रूपों में प्रकट है। आत्मज्ञानी संत प्राचीन काल से कहते रहे हैं कि देवी या शक्ति सभी कामनाओं, ज्ञान और क्रियाओं का मूलाधार है। अब वैज्ञानिक भी कह रहे हैं कि प्रत्येक वस्तु शुद्ध अविनाशी ऊर्जा है। यह कुछ और नहीं, बल्कि उस दैवी शक्ति का एक रूप मात्र है, जो अस्तित्व के प्रत्येक रूप में मौजूद है। नवरात्रि के दौरान हम उसी…
…और स्वामी जी का खत पहुंच गया मक्का-मदीना!
आधुनिक यौगिक व तांत्रिक पुनर्जागरण के प्रेरणास्रोत तथा इस शताब्दी के महानतम संत परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी और विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय व विश्व योगपीठ के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल हैं। जो लोग सत्यानंद योग परंपरा के करीब नहीं हैं, उन्हें यह बात चौंकाने वाली लग सकती है कि मुंगेर स्थित शाही जामा मस्जिद के इमाम रहे अब्दुल्लाह बुखारी परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के परम मित्र रहे हैं।मुंगेर में सन् 2013 में जब अभूतपूर्व विश्व योग सम्मेलन हुआ था तो स्वामी जी ने अतिथियों से पहले ईश्वर को धन्यवाद देते हुए मक्का-मदीना…
नवरात्रि : आंतरिक शुद्धि के लिए यौगिक उपाय
सौभाग्य की देवी मॉ शैलपुत्री की पूजा के साथ ही नवरात्रि प्रारंभ हो जाएगी। पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना की जाएगी। दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना की जाएगी। इसलिए कि हमारी चेतना इन्हीं तीन गुणों से व्याप्त है। इस तरह कह सकते हैं कि नवरात्रि हमें खुद को त्रिगुणातीत अवस्था में आने का अवसर प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में नवरात्रि खुद के शुद्धिकरण का पवित्र त्योहार है।सवाल है कि शुद्धिकरण हो कैसे? मॉ की आराधना से बेहतर क्या हो सकता है। पर, योग विद्या में भी इसके लिए कई साधनाएं…
योगनिद्रा : योगियों के अनुभव पर विज्ञान की मुहर
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और महाजन इमेजिंग के शोधकर्ताओं ने योगनिद्रा पर शोध किया तो उसके जो परिणाम आए हैं, उससे योगियों के दशकों पूर्व के दावों की पुष्टि हुई है। हालांकि वैज्ञानिकों को योगनिद्रा से अतींद्रिय शक्तियों के विकास संबंधी योगियों के दावों की पुष्टि करने के लिए अभी लंबी दूरी तय करनी होगी। पर, योगनिद्रा स्वस्थ्य के दृष्टिकोण से कितना महत्वपूर्ण है, इसकी पुष्टि भी आधुनिक युग के लिहाज से उपलब्धि ही है।वैज्ञानिकों को शोध से जो परिणाम मिले, उसके मुताबिक योगनिद्रा अभ्यास के दौरान गहन विश्राम मिलता है। साथ ही जागरूकता में अभिवृद्धि…
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