Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com

सोने की लंकापुरी के बारे में तो हम सब जानते ही हैं। पर उसे बनाया किसने और क्यों? इस बात को लेकर चर्चा कम ही होती है। पुराण कथाओं के मुताबिक, सर्वदृष्टा, सर्वस्रष्टा, सर्वज्ञाता विश्वकर्मा भगवान ने लंकापुरी का निर्माण किया था। पर क्या रावण के लिए? इस सवाल को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा है कि जब भगवान शिव ने पार्वती से विवाह किया, तो उन्होंने विश्वकर्मा से उनके रहने के लिए एक सुंदर महल बनाने को कहा। विश्वकर्मा ने सोने से बना एक महल बनाया!कथा है कि गृह प्रवेश समारोह के लिए, शिव ने बुद्धिमान रावण…

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योगबल की बदौलत आत्म-दर्शन होने से मनुष्य में देवत्व का उदय होना असाधारण बात तो है, पर दुर्लभ नहीं। पुनर्जन्म, परकाया प्रवेश और एक ही काया को कई स्थानों पर उपस्थित कर देने के भी उदाहरण हैं। अक्षर ज्ञान न होते हुए भी शास्त्रों का ज्ञान होने के उदाहरण तो भरे पड़े हैं। योग की बदौलत मिलने वाली इन शक्तियों का वैज्ञानिक आधार प्रस्तुत किया जाता रहा है। परं पिछले कई युगों के ऋषियों जैसे ज्ञान के साथ शरीर धारण करना, तुरीयावस्था में वह ज्ञान प्रकट करना और दो लोगों के बीच का संवाद एक ही मुख से उच्चारित होना…

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शाकाहार और मांसाहार के बारे में तुम्हारी सोच अलग है। तुम जीवन के बारे में सोचते हो, जबकि शाकाहार करने और मांसाहार न करने का बड़ा सीधा कारण है। शेर, बाघ, चीता, तेन्दुआ, ये सब मांसाहारी जानवर हैं। एक बाघ दूसरे मरे हुए बाप का मांस नहीं खाता। शेर, चीता या तेन्दुआ भी इसी तरह करते हैं। वे हिरण या गाय-भैंस की तलाश में रहते हैं। ये पशु घास खाते हैं। मांसाहारी जानवर ऐसे पशुओं का शिकार करते हैं जो शाकाहारी हैं। वे मांसाहारी पशु का शिकार नहीं करते। ऐसा क्यों? इसलिए कि मांसाहारी पशुओं के शरीर में रोगाणुओं और…

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स्वामी शिवानंद सरस्वती बीसवीं सदी के अद्भुत संत थे। यौगिक शक्तियां असीम थीं। उनका जीवन ईश्वर के नियमों के अनुरुप संचालित था। प्रेम, सेवा और दान उनका मूल मंत्र था, जो महर्षि पतंजलि से इत्तर उनके द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग के महत्वपूर्ण अंग थे। स्वामी शिवानंद सरस्वती ने जीवन के विविध आयामों का वैज्ञानिक अध्ययन किया और उसे जनोपयोगी बनाकर जनता के समक्ष प्रस्तुत किया। वे अपने शिष्यों के रोगों का वेदांत दर्शन की एक विधि से इलाज करते थे और वे ठीक भी हो जाते थे। वे एक मंत्र देते थे – “मैं अन्नमय कोष से पृथक आत्मा हूं,…

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किशोर कुमारएसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के श्रीकृष्ण भावनामृत अभियान और इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) पर दुनिया के किसी भी कोने में जब-जब हमले हुए, इस्कॉन की शक्ति बढ़ती ही गई। इतिहास गवाह है कि जब-जब आसुरी शक्तियों ने दैवी शक्तियों से भिड़ने की कोशिश की, दैवी शक्तियों को ही विजय श्री की प्राप्ति हुई। चिन्मय मिशन के संस्थापक स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने श्रीमद्भगवतीता के भाष्य में लिखा है कि हिंदू धर्म समस्याओं से भागने को नहीं कहता, बल्कि मोर्चे पर डटे रहकर स्वयं में और अपने आसपास के संसार में विश्वास रखते हुए तथा अपनी भीतरी व बाहरी…

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 बीसवीं सदी के महानतम संत ऋषिकेश स्थित डिवाइन लाइफ सोसाइटी के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती यदि भौतिक शरीर में होते तो 8 सितंबर को शिष्यों के साथ 137वां जन्मदिन मना रहे होतें। इसी साल उनके संन्यास के भी एक सौ साल पूरे हुए। संन्यास शताब्दी समारोह में दुनिया भर के योगियों, संन्यासियों और भक्तों का जैसा जुटान हुआ था, वह उनकी अद्भुत यौगिक शक्ति और सर्वव्यापकता का ही परिणाम था। प्रेम, सेवा और दान को समाहित करता हुआ उनका अष्टांगीय योग-मार्ग आज भी दुनिया भर के साधकों के लिए आध्यात्मिक राजपथ बना हुआ है। उनसे शुरू हुई गुरू-शिष्य परंपरा समृद्ध…

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किशोर कुमार //“नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….. गोकुल के भगवान की, जय कन्हैया लाल की…… “ जन्माष्टमी के मौके पर ब्रज में ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया के तमाम भक्त इस बोल के साथ दिव्य आनंद में सराबोर होते हैं। सर्वत्र उत्सव, उल्लास और उमंग का माहौल होता है और वातावरण भजन-संकीर्तन से गूंजायमान। क्यों? क्योंकि श्रीकृष्ण के चरित्र में एक ही साथ प्रेम, ज्ञान, वैराग्य, धैर्य, उदारता, करुणा, साहस सब कुछ हैं। वे लीलाधर हैं, महान् दार्शनिक हैं, महान् वक्ता हैं, महायोगी हैं, योद्धा हैं, संत हैं….और भी बहुत कुछ। तभी सदियों से सबके हृदय में विराजते…

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किशोर कुमार भारत में गैंग रेप की घटनाएं अब चौंकाती नहीं। चेताती जरूर हैं। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कानून बनाती जाती है। पर “ज्यों-ज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता ही गया” वाली कहावत चरितार्थ होती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में ‘गैंगरेप’ का किसी भी रूप से कोई जिक्र नहीं होता। बेंगलुरू स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया में क्रिमिनोलॉजी एंड विक्टिमोलॉजी के प्रोफेसर के. चोकलिंगम का बयान हमें याद है। उन्होंने कहा था, ”हमें आंकड़े चाहिए, अपराधियों की प्रोफाइल चाहिए, लेकिन भारत में ऐसा कुछ भी नहीं है।” पर इतना तय है कि गैंग रेप…

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किशोर कुमार// वेदों में आचार, व्यवहार, आध्यात्मिक जीवन, ज्योतिष आदि जीवन के विविध आयाम हैं तो स्वास्थ्य – चिकित्सा भी एक महत्वपूर्ण आयाम है। सच कहिए तो चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों की जड़ें वेदों में निहित है। चिकित्सा की जितनी भी पारंपरिक प्रणालियों से हम सब वाकिफ हैं, उन सबका संबंध किसी न किसी देवता से माना गया है। वेद ग्रंथों में इसका उल्लेख जगह-जगह मिलता है। जैसे, चरक संहिता हो या सुश्रुत संहिता, दोनों में ब्रह्मा जी को ही प्रथम उपदेष्टा माना गया है। इसी तरह भगवान शिव आदियोगी तो हैं हीं, ऋग्वेद में उनका वर्णन एक चिकित्सक के रूप…

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