सन् 1918 की बात है। उस समय के लिहाज से लंदन में एक अनूठी घटना घटी थी। एक चार वर्षीय बालक जॉन हक्सले अन्य बच्चों के साथ खेलते-खेलते अचानक चिल्लाने लगा – “मेरे पिता का दम घुटा जा रहा है, उन्हें बचाओ। वे एक कोठरी में बंद हैं और उन्हें कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है।“ इतना कहते-कहते जॉन हक्सले बेहोश हो गया। पर होश आते ही वह बोल पड़ा – “अब पिता जी ठीक हो जाएंगे।“ जब यह घटना घटी थी, तब जॉन हक्सले के पिता द्वितीय महायुद्ध में फ्रांस के मोर्चे पर लड़ रहे थे। युद्ध समाप्त होने पर घर लौटे तो यह जानकर दंग रह गए थे कि युद्ध के दौरान उनके साथ जो घटना घटी थी, उसे दूर बैठे उनके बेटे ने ठीक महाभारत के संजय की तरह देख लिया था।
इस प्रकार की एक नहीं, अनेक घटनाएं घटित हो चुकी हैं। भारतीय संत कहते रहे हैं कि किसी की चेतना परिष्कृत है तो वह अतीन्द्रिय सामर्थ्य का धनी हो सकता है। योग विद्या में अतीन्द्रिय शक्तियों के विकास के लिए YOGA NIDRA सहित कई साधनाएं बताई गई हैं। पर “योगनिद्रा” ज्यादा सरल और प्रभावशाली है। अब तो आधुनिक युग के वैज्ञानिक भी योगनिद्रा का लोहा मान बैठे हैं। हाल ही दिल्ली के अखिला भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने इस योग विधि पर शोध किया तो माना कि बच्चे ही नहीं, हर उम्र के लोगों की चेतना के विकास और स्वास्थ्य प्रदान करने वाली ग्रंथियों को संतुलित रखने के लिए योगनिद्रा रामबाण है।
हमारे पास प्रकृति की अमूल्य विरासत है। पर, कबीर दास ने ठीक ही कहा है – कस्तूरी कुण्डली बसै मृग ढ़ूँढ़ै बन माहि…. सुगंध तो कस्तूरी हिरण की नाभि में होता है, लेकिन इससे अनजान हिरण उस सुगन्ध को पूरे जगत में ढूँढता फिरता है। हम सबकी भी ऐसी ही स्थिति है। फिर, हमें सब कुछ फास्ट फूड की तरह चाहिए। समय तो है, पर धैर्य नहीं। इसलिए जीवन कष्टमय है। अब हम सब अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की ओर तेजी से कदम बढा रहे हैं। अपने जीवन को रूपांतरित करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाने का यह बेहतरीन अवसर है।
संक्षिप्त योगनिद्रा का लिंक नीचे दिया गया है। यह प्रेरक और विज्ञानसम्मत वीडियो मेरे गुरुभाई और योगाचार्य SHIVACHITTAM MANI ने उपलब्ध कराया है। इसे सुनते हुए पूरे विश्वास के साथ अभ्यास शुरू करना हितकर है। परिवार के बाकी सदस्य भी इसे अमल में लाएं तो अच्छा। लाखो लोगों का अनुभव है, जीवन में सकारात्मक बदलाव आ जाता है।