Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com

शारदीय नवरात्रि में सर्वर्त्र दुर्गा सप्तशती का पाठ करके माता के विभिन्न रुपों की आराधना की जा रही है। इस दौरान हम देखते हैं कि किस तरह महाकाली मधु, कैटभ और महिषासुर का, महालक्ष्मी चंड, मुंड और धूम्रलोचन का औऱ महासरस्वती रक्तबीज, निशुंभ और शुंभ का वध करती हैं। असुरों और शक्ति के बीच की इस लड़ाई के आध्यात्मिक संदेशों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि इससे विशेष भावनाओं, विचारों, इच्छाओं आदि की सीमित या नकारात्मक प्रकृति के बारे में अधिक जागरूक होने में मदद मिलती हैं। जीवन में सकारात्मक विकास होता है। हम जानते हैं कि शारीरिक व मानसिक…

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नव संवत्सर की शुरुआत ही देवी की आराधना से होगी। सृष्टि की रचना देवी से हुई थी। ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीकात्मक रूप भी वे ही हैं। उपनिषद में कहा गया है कि पराशक्ति ईश्वर की परम शक्ति है। यही विविध रूपों में प्रकट है। आत्मज्ञानी संत प्राचीन काल से कहते रहे हैं कि देवी या शक्ति सभी कामनाओं, ज्ञान और क्रियाओं का मूलाधार है। अब वैज्ञानिक भी कह रहे हैं कि प्रत्येक वस्तु शुद्ध अविनाशी ऊर्जा है। यह कुछ और नहीं, बल्कि उस दैवी शक्ति का एक रूप मात्र है, जो अस्तित्व के प्रत्येक रूप में मौजूद है। नवरात्रि के दौरान हम उसी…

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आधुनिक यौगिक व तांत्रिक पुनर्जागरण के प्रेरणास्रोत तथा इस शताब्दी के महानतम संत परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी और विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय व विश्व योगपीठ के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती सांप्रदायिक सौहार्द्र की अनूठी मिसाल हैं। जो लोग सत्यानंद योग परंपरा के करीब नहीं हैं, उन्हें यह बात चौंकाने वाली लग सकती है कि मुंगेर स्थित शाही जामा मस्जिद के इमाम रहे अब्दुल्लाह बुखारी परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के परम मित्र रहे हैं।मुंगेर में सन् 2013 में जब अभूतपूर्व विश्व योग सम्मेलन हुआ था तो स्वामी जी ने अतिथियों से पहले ईश्वर को धन्यवाद देते हुए मक्का-मदीना…

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सौभाग्य की देवी मॉ शैलपुत्री की पूजा के साथ ही नवरात्रि प्रारंभ हो जाएगी। पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना की जाएगी। दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना की जाएगी। इसलिए कि हमारी चेतना इन्हीं तीन गुणों से व्याप्त है। इस तरह कह सकते हैं कि नवरात्रि हमें खुद को त्रिगुणातीत अवस्था में आने का अवसर प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में नवरात्रि खुद के शुद्धिकरण का पवित्र त्योहार है।सवाल है कि शुद्धिकरण हो कैसे? मॉ की आराधना से बेहतर क्या हो सकता है। पर, योग विद्या में भी इसके लिए कई साधनाएं…

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-दिल्ली, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और महाजन इमेजिंग के शोधकर्ताओं ने योगनिद्रा पर शोध किया तो उसके जो परिणाम आए हैं, उससे योगियों के दशकों पूर्व के दावों की पुष्टि हुई है। हालांकि वैज्ञानिकों को योगनिद्रा से अतींद्रिय शक्तियों के विकास संबंधी योगियों के दावों की पुष्टि करने के लिए अभी लंबी दूरी तय करनी होगी। पर, योगनिद्रा स्वस्थ्य के दृष्टिकोण से कितना महत्वपूर्ण है, इसकी पुष्टि भी आधुनिक युग के लिहाज से उपलब्धि ही है।वैज्ञानिकों को शोध से जो परिणाम मिले, उसके मुताबिक योगनिद्रा अभ्यास के दौरान गहन विश्राम मिलता है। साथ ही जागरूकता में अभिवृद्धि…

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सोने की लंकापुरी के बारे में तो हम सब जानते ही हैं। पर उसे बनाया किसने और क्यों? इस बात को लेकर चर्चा कम ही होती है। पुराण कथाओं के मुताबिक, सर्वदृष्टा, सर्वस्रष्टा, सर्वज्ञाता विश्वकर्मा भगवान ने लंकापुरी का निर्माण किया था। पर क्या रावण के लिए? इस सवाल को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा है कि जब भगवान शिव ने पार्वती से विवाह किया, तो उन्होंने विश्वकर्मा से उनके रहने के लिए एक सुंदर महल बनाने को कहा। विश्वकर्मा ने सोने से बना एक महल बनाया!कथा है कि गृह प्रवेश समारोह के लिए, शिव ने बुद्धिमान रावण…

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योगबल की बदौलत आत्म-दर्शन होने से मनुष्य में देवत्व का उदय होना असाधारण बात तो है, पर दुर्लभ नहीं। पुनर्जन्म, परकाया प्रवेश और एक ही काया को कई स्थानों पर उपस्थित कर देने के भी उदाहरण हैं। अक्षर ज्ञान न होते हुए भी शास्त्रों का ज्ञान होने के उदाहरण तो भरे पड़े हैं। योग की बदौलत मिलने वाली इन शक्तियों का वैज्ञानिक आधार प्रस्तुत किया जाता रहा है। परं पिछले कई युगों के ऋषियों जैसे ज्ञान के साथ शरीर धारण करना, तुरीयावस्था में वह ज्ञान प्रकट करना और दो लोगों के बीच का संवाद एक ही मुख से उच्चारित होना…

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शाकाहार और मांसाहार के बारे में तुम्हारी सोच अलग है। तुम जीवन के बारे में सोचते हो, जबकि शाकाहार करने और मांसाहार न करने का बड़ा सीधा कारण है। शेर, बाघ, चीता, तेन्दुआ, ये सब मांसाहारी जानवर हैं। एक बाघ दूसरे मरे हुए बाप का मांस नहीं खाता। शेर, चीता या तेन्दुआ भी इसी तरह करते हैं। वे हिरण या गाय-भैंस की तलाश में रहते हैं। ये पशु घास खाते हैं। मांसाहारी जानवर ऐसे पशुओं का शिकार करते हैं जो शाकाहारी हैं। वे मांसाहारी पशु का शिकार नहीं करते। ऐसा क्यों? इसलिए कि मांसाहारी पशुओं के शरीर में रोगाणुओं और…

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स्वामी शिवानंद सरस्वती बीसवीं सदी के अद्भुत संत थे। यौगिक शक्तियां असीम थीं। उनका जीवन ईश्वर के नियमों के अनुरुप संचालित था। प्रेम, सेवा और दान उनका मूल मंत्र था, जो महर्षि पतंजलि से इत्तर उनके द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग के महत्वपूर्ण अंग थे। स्वामी शिवानंद सरस्वती ने जीवन के विविध आयामों का वैज्ञानिक अध्ययन किया और उसे जनोपयोगी बनाकर जनता के समक्ष प्रस्तुत किया। वे अपने शिष्यों के रोगों का वेदांत दर्शन की एक विधि से इलाज करते थे और वे ठीक भी हो जाते थे। वे एक मंत्र देते थे – “मैं अन्नमय कोष से पृथक आत्मा हूं,…

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