Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com

आध्यात्मिक यात्रा में काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार को शत्रु माना गया है और इनसे मुक्त हुए बिना पूर्णता प्राप्त होना मुश्किल ही होता है। पर, हिमालय के योगी, योगियों के योगी महर्षि महेश योगी मोहग्रस्त हो गए थे। ज्योतिर्मठ में शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जैसे ज्ञानी संत का प्रिय शिष्य मोहग्रस्त हो जाए, तो सबका चौंक जाना लाजिमी था। त्वरित धारणा बनी कि महर्षि योगी की आध्यात्मिक साधना में कुछ कमी रह गई होगी। हालांकि शास्त्रों में महान ऋषियों के क्रोधित होने, मोहग्रस्त होने के प्रसंग भरे पड़े मिलते हैं और अध्यात्म की कसौटी पर उन परिणामों का…

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अरुण कुमार शर्मा    भारत के उत्तरी भाग में किसी भी धार्मिक समारोह के अन्त में प्रायः ओम जय जगदीश हरे…आरती बोली जाती है। कई जगह इसके साथ ‘कहत शिवानन्द स्वामी’ या ‘कहत हरीहर स्वामी’ सुनकर लोग किन्हीं शिवानन्द या हरिहर स्वामी को इसका लेखक मान लेते हैं; पर सच यह है कि इसके लेखक पण्डित श्रद्धाराम फिल्लौरी थे। आरती में आयी एक पंक्ति ‘श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ…’ में उनके नाम का उल्लेख होता है। श्रद्धाराम जी का जन्म पंजाब में सतलुज नदी के किनारे बसे फिल्लौर नगर में 30 दिसम्बर, 1837 को पंडित जयदयालु जोशी एवं श्रीमती विष्णुदेवी के घर…

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हम नववर्ष की दहलीज पर कदम रख चुके हैं। नववर्ष में नई आशाएं होती हैं, सपने होते हैं। आंतरिक इच्छा होती है कि नववर्ष नई संभावनाएं लेकर आए, जो जीवन को खुशियों से भर दे। पर, यक्ष प्रश्न सदा बना रहता है कि खुशी मिले कैसे? जीवन आनंदमय हो कैसे? योगी कहते हैं कि इस लक्ष्य की प्राप्ति योगमय जीवन से ही संभव है। तभी भारत के परंपरागत योग का लक्ष्य कभी केवल बीमारियों से मुक्ति नहीं रहा, बल्कि जीवन में पूर्णत्व योग का लक्ष्य रहा है।आज योग का जैसा स्वरूप है, एक सौ साल पहले ऐसा नहीं था। बच्चे…

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दुनिया भर में क्रिसमस और नववर्ष के आगमन की धूम के बीच 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के मौके पर दुनिया भर में प्राय: सभी धर्मों के लोगों ने प्रकारांतर से ध्यान साधनाएं कीं। मनोविज्ञानियों और चिकित्सकों ने मानसिक स्वस्थ्य के आलोक में विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर इसकी महत्ता बतलाने की कोशिश की तो संतों ने शारीरिक व मानसिक स्वस्थ्य की बेहतरी के साथ ही आध्यात्मिक उत्थान के लिए ध्यान साधना के महत्वों पर प्रकाश डाला।   दुनिया भर में क्रिसमस की धूम है तो दूसरी तरफ धर्मों की सारभूत एकता का संदेश देता झारखंड के देवघर जिला स्थित…

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अशांत मन का प्रबंधन किसी भी काल में चुनौती भरा कार्य रहा है। आज भी है। योग ने तब भी राह निकाली। आज भी योग से ही राह निकलेगी। तब के वैज्ञानिक संत योगसूत्र दिया करते थे। आधुनिक युग में संन्यासी उन योगसूत्रों को सरलीकृत करके जन सुलभ करा चुके हैं और किसी जमाने में इसे संशय की दृष्टि से देखने वाला विज्ञान चीख-चीखकर कह रहा है – “योग का वैज्ञानिक आधार है। इसे अपनाओ, जिंदगी का हिस्सा बनाओ।“ पर अब लोगों के सामने यह सवाल नहीं है कि योग अपनाएं या नहीं। सवाल है कि अपेक्षित परिणाम किस तरह…

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पूरी दुनिया में एक तरफ ध्यान की लोकप्रियता आसमान छू रही है। दूसरी तरफ शरीर और मन पर  ध्यान के प्रभावों को लेकर वैज्ञानिक शोध बड़े पैमाने पर किए जा रहे हैं। प्राय: हर सप्ताह एक न एक रिपोर्ट सार्वजनिक हो रही है। सबका सार यही है कि ध्यान मन के प्रबंधन का बड़ा औजार है। यह स्थिति लोगों को ध्यान के लिए प्रेरित कर रही है। जाहिर है कि इस ट्रेंड को देखते हुए योग के कारोबारियों का ज्यादा फोकस ध्यान पर ही है। पर इसके साथ ही बड़ा सैद्धांतिक सवाल भी खड़ा हो गया है। वह यह कि ध्यान सीखा या…

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सर्दी का मौसम खासतौर से उच्च रक्तचाप, हृदय रोगियों और गठिया के मरीजों के लिए कई चुनौतियां प्रस्तुत करता है। इसलिए कि सामान्य शारीरिक गतिविधियां थम-सी जाती हैं और ठंड से बचकर रहना बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में योग खासतौर से योग की एक विधि नाड़ी शोधन प्राणायाम बड़े कमाल का परिणाम देता है। इस प्राणायाम में इतनी शक्ति है कि जीवन में चार चांद लगा दे।हृदयाघात की घटनाओं में वृद्धि की तात्कालिक वजह चाहे जो भी हो, पर यह सर्वामान्य है कि विभिन्न परेशानियों में उलझा हुआ मन और असंयमित जीवन-शैली से ज्यादा नुकसान हो रहा है। कहा…

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श्रीमद्भगवत गीता यानी भगवान् श्रीकृष्ण के मुखारविन्द से निकली हुई दिव्य वाणी। आगामी 11 दिसंबर को इस संजीवनी विद्या के प्रकटीकरण के 5162 साल पूरे हो जाएंगे। उसी दिन भारत सहित विश्व के अनेक देशों में गीता जयंती मनाई जाएगी। सनातन धर्म के अनुयायी पूरे उत्साह से गीता जयंती की तैयारियों में जुटे हुए हैं। इंग्लैंड से लेकर मारीशस तक और अमेरिका से लेकर कनाडा तक में गीता महोत्सव मनाया जाना है। दुनिया भर के इस्कॉन मंदिरों में गीता जयंती की व्यापक तैयारियां हैं। पर हरियाणा के कुरूक्षेत्र, जहां युद्ध के मैदान में कृष्ण द्वारा स्वयं अर्जुन को ‘भगवदगीता’ प्रकट…

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भारतीय संत कहते रहे हैं कि किसी की चेतना परिष्कृत है तो वह अतीन्द्रिय सामर्थ्य का धनी हो सकता है। एंड्रिया ड्राब्स नामक वैज्ञानिक ने न्यूट्रिनो के आधार पर ही साइकॉन अणु का पता लगाया और कहा कि साइकॉन ही मस्तिष्क के न्यूरॉन्स से जुड़कर पराचेतना को जागृत करता है। एक्सेल फरसॉफ नामक अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने तो तथ्यों और प्रयोगों के आधार पर यह प्रमाणित कर दिया था कि मनुष्य को अनायास ही जो विचित्र अनुभूतियां होती हैं, उनमें से कुछ खास तरह की अनुभूतियां माइण्डॉन कणों के हलचल में आने से होती है। जब ये कण सक्रिय होते हैं तो…

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