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Author: Kishore Kumar
Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com
योग का ऑक्सफोर्ड है बिहार योग विद्यालय
बिहार योग विद्यालय उस सुगंधित पुष्प की तरह है, जिसकी खुशबू सर्वत्र फैल रही है। उसकी विलक्षणताओं की वजह से इंग्लैंड सहित यूरोप और अमेरिका के कई शहरों से प्रकाशित होने वाले अखबार “द गार्जियन” ने इसे पूर्व की तरह पहले स्थान पर रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर देश में योग के प्रचार-प्रसार के लिए चयनित चार योग संस्थानों में बिहार योग विद्यालय भी है। प्रधानमंत्री पुरस्कार से पहले ही सम्मानित किया जा चुका है। इस संस्थान के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को पद्मविभूषण सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है, जो भारत सरकार द्वारा दिया…
भ्रांतियां दूर हुईं तो बढ़ी श्री चित्रगुप्त भगवान की स्वीकार्यता, भारत-नेपाल में अवतरण दिवस की धूम
भारत और नेपाल में श्री चित्रगुप्त अवतरण दिवस (12 अप्रैल 2025) पर अनुष्ठान और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों का इतिहास बन गया। आधुनिक युग में संभवत: पहली बार श्री चित्रगुप्त भगवान कायस्थों ही नहीं, बल्कि अन्य जातियों के लिए भी सहज स्वीकार्य बनें और अनेक स्थानों पर सभी ने मिलकर व्यापक रूप से उनकी पूजा-अर्चना की। भारत-नेपाल में जिस उत्साह के साथ अवतरण दिवस मनाया गया, वह इस बात का जीवंत उदाहरण है कि नई पीढ़ी में श्री चित्रगुप्त भगवान को लेकर बनी भ्रांतियां दूर हो रही हैं। वजहें तो कई हो सकती हैं। पर, प्रमुख वजह श्री चित्रगुप्त भगवान के…
“नाथ संप्रदाय”: हजारी प्रसाद द्विवेदी की कालजयी कृति
“नाथ संप्रदाय” नामक पुस्तक हजारी प्रसाद द्विवेदी की एक ऐसी कालजयी कृति है, जिसमें उन्होंने गोरखनाथ और उनके संप्रदाय को न केवल धार्मिक या आध्यात्मिक संदर्भ में, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, और साहित्यिक परिप्रेक्ष्य में भी प्रस्तुत किया है। उन्होंने अपनी विद्वता और संवेदनशीलता के साथ इस संप्रदाय की ऐसी गहन पड़ताल की, जिससे यह पुस्तक भारतीय दर्शन और साहित्य के अध्येताओं के लिए अमूल्य बन गई।गोरखनाथ को एक योगी, समाज सुधारक, और सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में चित्रित करते हुए द्विवेदी जी ने दिखाया कि नाथ संप्रदाय ने मध्यकालीन भारत में योग, तंत्र, और भक्ति के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन…
सेवा, विनय, धर्म और निष्ठा का सन्मार्ग दिखाते श्री हनुमान
श्री हनुमान जी बोले तो ऐसे, मानो हम सबको सन्मार्ग दिखा रहे हों श्री हनुमान जी बोले तो ऐसे, मानो हम सबको सन्मार्ग दिखा रहे हों श्री हनुमान जी बोले तो ऐसे, मानो हम सबको सन्मार्ग दिखा रहे हों हनुमान जयंती की शुभकामनाएं। हम सब जानते हैं कि श्रीराम जी के साथ श्री हनुमान जी का पावन, अनुपम और अद्वितीय संबंध है। तभी उनके श्रीमुख से निकला, “शारीरिक रूप से मैं प्रभु का सेवक हूँ, मानसिक रूप से वह मेरे मित्र हैं और आध्यात्मिक रूप से वह और मैं एक ही हैं।” आइए, इस खास मौके पर इस कथन का…
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दौर में अतिमानसी चेतना
विलियम आर्थर की बर्बरता से तो हम सब परिचित हैं ही। ये वही अंग्रेज अधिकारी हैं, जो 1942 में पटना में जिला मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत थे और उनकी बर्बरता के कारण भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अहिंसक आंदोलन कर रहे सात छात्रों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी थी। इस लेख का विषय बेशक यह नहीं है, बल्कि महान योगी श्री अरविंदों के वैदिक ज्ञान के आलोक में वैदिक ज्ञान की महत्ता और सुपरमाइंड की संभावना बतलाना है। ताकि युवापीढ़ी में भारत के प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान की समझ बने और उसके पुनर्जनन में उसका योगदान हो। पर…
श्री चित्रगुप्त : अनकही कथाएं, अभिनव मीमांसा
श्रीराम का अवतरण सूर्यवंश (इक्ष्वाकु वंश) में हुआ था, जो क्षत्रिय कुल माना जाता है। श्रीकृष्ण का अवतरण यदुवंश (चंद्रवंश) में हुआ था। हालांकि, उनका पालन-पोषण गोकुल में नंद और यशोदा के द्वारा एक ग्वाला (यादव) परिवार में हुआ, लेकिन उनकी वंशावली चंद्रवंशी क्षत्रिय ही थी। पर, क्या हमने उन्हें किसी जातीय दायरे में रखने की कभी कोशिश की? नहीं। फिर श्री चित्तगुप्त या श्री चित्रगुप्त, जिन्हें ब्रह्मा जी के चित्त (मन) या काया (शरीर) से अवतरण और ब्रह्मा जी के आदेश से ही भूलोक यानी पृथ्वी पर विशेष उद्देश्य से प्रकटीकरण माना जाता है और जो पाप-पुण्य का लेखा-जोखा…
राम राम सब जगत बखाने, आदि राम कोई बिरला जाने
स्वामी सत्यानंदजी महाराज देश में आर्यसमाज के बड़े आध्यात्मिक नेता थे। सन् 1925 में उन्हें दयानंद जन्मशताब्दी समारोह के दौरान एकांतवास करने की आंतरिक प्रेरणा हुई। चले गए डलहौजी। साधना के दौरान ब्यास पूर्णिमा की रात उन्हें “राम” शब्द बहुत ही सुंदर और आकर्षक स्वर में सुनाई दिया। फिर आदेशात्मक शब्द आया – राम भज…राम भज…राम भज। स्वामी सत्यानंदजी महाराज समझ गए कि श्रीराम की अनुकंपा हो चुकी है। इस तरह वे आर्यसमाज से नाता तोड़कर पूरी तरह राम का गुणगाण करने में जुट गए। इसके बाद “राम शरणम्” नाम से संस्था बनाई, जिसका प्रभाव आज भी खासतौर से उत्तर…
दुर्गा सप्तशती : ज्ञान-विज्ञान का अद्भुत संयोजन
चैत्र नवरात्रि केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि मानव चेतना के उत्थान और दिव्य शक्ति के साथ से जुड़ने का एक शक्तिशाली अवसर है। प्रत्येक दिन माँ के एक रूप की पूजा चक्रों को जागृत करती है, जो मूलाधार से सहस्रार तक चेतना को ऊपर उठाती है। इसका परिणाम होता है कि साधक के भीतर अज्ञान, अहंकार, क्रोध और लोभ रूपी आंतरिक असुरों का नाश होता है। इससे आत्म-शुद्धि होती है और शरीर, मन, और आत्मा लयबद्ध हो जाते हैं। तब चैत नवरात्रि के अंतिम दिन धरा पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का आविर्भाव होता है। यह इस बात का प्रतीक…
चंडीगढ़ में संकल्प पूर्ति समारोह के तहत भव्य योगोत्सव
चंडीगढ़ स्थित गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ योगा एजुकेशन एंड हेल्थ परिसर में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम सफल रहा। यह कार्यक्रम “संकल्प पूर्ति समारोह” के तहत हरियाणा योग आयोग के सहयोग से किया गया था। इस मौके पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक श्री गुलाब चंद कटारिया बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। योगाभ्यासियों ने अनुशासन और तालमेल के साथ सूर्य नमस्कार के 6 राउंड किए। इनमें भारतीय सेना के प्रतिनिधि, विभिन्न कॉलेजों के छात्र, और आयुष प्रशिक्षक शामिल थे।इस मौके पर चंडीगढ़ प्रशासन के मुख्य सचिव राजीव वर्मा, हरियाणा योग आयोग के अध्यक्ष जयदीप आर्य, स्वास्थ्य सचिव अजय चागती, आयुष निदेशक…
अध्यात्म पथ के पथिकों को मिल जाता है मार्ग
भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स नौ महीने बाद धरती पर सकुशल वापसी के बाद अब आध्यात्मिक कारणों से चर्चा में हैं। हम सब जानते हैं कि सुनीता विलियम्स अपनी भारतीय विरासत से मजबूती से जुड़ी हुई हैं। तभी वह अपने अंतरिक्ष मिशनों के दौरान कभी भगवद्गीता और रामायण साथ लेकर गई तो कभी गणेश भगवान की मूर्ति। उन्होंने अंतरिक्ष में दीपावली तक मनाई थी।चुनौतीपूर्ण अंतरिक्ष यात्रा के दौरान उनके धैर्य, साहस और आत्मविश्वास को उनके आध्यात्मिक रुझानों के संदर्भ में देखा जा रहा है। तो क्या सुनीता विलियम्स को कठिन वक्त में भगवद्गीता से धैर्य (कर्तव्य पर…
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