ऐसे मिलेगा शक्तिशाली योग विज्ञान का अधिकतम लाभ
परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती //
योग को चार भागों में बांटा गया है। एक भौतिक शरीर के लिए, दूसरा प्राण-शक्ति के लिए, तीसरा विश्राम और चौथा ध्यान। योग का मतलब क्या है? इसका अर्थ है शारीरिक मुद्रा, श्वास लेने के व्यायाम, विश्राम और ध्यान, ये योग के चार भाग हैं।
अब, पहला क्या है? इसे शारीरिक आसन यानी हठ योग आसन कहा जाता है। किसी विशेष शारीरिक मुद्रा को धारण करने से मानव ग्रंथियां प्रभावित होती हैं। शरीर में कई ग्रंथियां हैं, जो शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य में बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं। जैसे, थायरॉयड ग्रंथि, थाइमस ग्रंथि, अधिवृक्क, अग्न्याशय, आदि। यदि इनमें असंतुलन हो तो शारीरिक और मानसिक रोग हो जाते हैं।
आपने छोटे लड़के-लड़कियों को मिर्गी के दौरे से पीड़ित देखा होगा। यह ग्रंथि संबंधी असंतुलन के कारण होता है। योग आसनों के अभ्यास से ग्रंथियों के स्राव में संतुलन लाया जा सकता है। अगर शरीर का तंत्रिका तंत्र कमजोर हो तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां होती हैं। आपने बहुत से लोगों को हिस्टीरिया से भी पीड़ित देखा होगा। बहुत से लोग नर्वस ब्रेकडाउन या नर्वस डिप्रेशन से पीड़ित हैं। हठ योग में कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनसे तंत्रिका तंत्र को मजबूत किया जा सकता है।
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि हठ योग से कई बीमारियों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। यह बहुत ही प्रभावी प्रणाली है। इसलिए आवश्यक है कि सभी को हठयोग का अभ्यास करना चाहिए। यदि आप एक या दो या तीन महीने की अवधि के लिए हठ योग का अभ्यास करते हैं, तो आप पाएंगे कि आप ऊर्जावान हो रहे हैं।
दूसरा है प्राणायाम। यानी श्वास लेने का योग। इसमें आप इस तरह से श्वास लेते हैं कि अधिक प्राण, जीवनी शक्ति ग्रहण करते हैं। इस शरीर को प्राण-शक्ति का आधार मिलना जरूरी है। यदि प्राण-शक्ति की मात्रा कम हो तो आदमी कमजोर हो जाता है। इसलिए शरीर में अधिक प्राण-शक्ति के लिए आपको प्राणायाम का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
तीसरा है विश्राम। यह सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। डॉक्टर, इंजीनियर, व्यापारी, गृहिणियां, राजनेता काम के बोझ से लगातार तनाव में रहते हैं। शाम ढ़लते-ढ़लते थक जाते हैं। इतने थके हुए होते हैं कि सो नहीं पा पाते हैं। नतीजतन, अनेक लोग शराब का सेवन करने लगते हैं। लेकिन कुछ समय बाद वह भी काम नहीं करती। फिर वे ट्रैंक्विलाइज़र लेते हैं। कुछ समय बाद वह काम नहीं करता। फिर वे ज्यादा शक्ति वाला ट्रैंक्विलाइज़र लेते हैं। उन सबसे बात नहीं बनती और फिर हृदय रोग या तंत्रिका तंत्र रोग आदि बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। योग में विश्राम की ताकतवर विधि है। इसके लिए नींद की जरूरत नहीं। बस, आरामदेह स्थान पर लेट जाना होता है और मानसिक रूप से प्रत्याहार का कोई अभ्यास करना होता है। इससे दस मिनटों के भीतर साधक तनाव-मुक्त हो जाता है।
चौथा खंड ध्यान है। मन को स्थिर और एकाग्र कैसे करें, इसके लिए इन्हीं बातों को जानना जरूरी होता है। जब आप प्रार्थना करते हैं, तो उस समय मन स्थिर नहीं होता है। मन भटक रहा होता है। ऐसे में, अपने मन को एक बिंदु पर केंद्रित करना होता है। जब एक बार मन किसी बिंदु पर केंद्रित होने लगता हैं, तो आप ध्यान में होने लगते हैं। सबसे कठिन ध्यान ही है। लेकिन एक बार जब आप जान जाते हैं कि ध्यान कैसे करना है, तो जीवन खुशनुमा बन जाता है। मन बहुत शक्तिशाली है, लेकिन जब उसकी चंचलता कम होती जाती है तो ध्यान घटित होने लगता है। ठीक वैसे ही, जैसे सूर्य की किरणें जब पृथ्वी पर पड़ती हैं तो कमजोर हो जाती हैं। लेकिन जब एक बारीक लेंस द्वारा उसे केंद्रित किया जाता है तो वह किसी भी चीज को जलाने में सक्षम होती हैं। इसी तरह, जब मन बिखरा हुआ होता है तो वह किसी भी काम में असमर्थ होता है। लेकिन जब वही मन ध्यान द्वारा एकाग्र होता है तो वह शक्तिशाली हो जाता है।
योग में एकाग्रता की कई प्रणालियाँ हैं। आप अपने मन को श्वास पर, ध्वनि पर या शरीर के किसी भी क्रिया पर केंद्रित करके एकाग्र कर सकते हैं। किसी विशेष प्रतीक पर केंद्रित करके भी मन को एकाग्र कर सकते हैं। लेकिन सबसे आसान जो मैं आपको बता सकता हूं वह है अपने मन को श्वास पर केंद्रित करना।
योग की पद्धतियां पूरी तरह वैज्ञानिक हैं और यह जरूरी है कि आप किसी योग्य शिक्षक से ही योग सीखें। एक सक्षम शिक्षक का मतलब है कि वह स्वयं योगमय जीवन जीता हो और विज्ञान को जानता हो। तभी वह आपको बता सकता है कि आपको कौन-से अभ्यास करने चाहिए। यदि आप साइटिका या स्लिप्ड डिस्क से पीड़ित हैं, तो योग शिक्षक को पता होना चाहिए कि आपको कौन-से अभ्यास करने या नहीं करने चाहिए। योग पुस्तक पढ़कर नहीं, बल्कि किसी योग्य शिक्षक से सीखना चाहिए।