Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com

किशोर कुमार //                                                                 भारत के शिक्षण संस्थानों में छात्रों को यौगिक और आध्यात्मिक शिक्षा का प्रचलन बढ़ना कोई इत्तेफाक नहीं है। बीज पहले से थी, इसे आज नहीं तो कल अंकुरित होना ही था। हमारे वैज्ञानिक संत अनादिकाल से कहते रहे हैं कि आत्मा नित्य है। इसका अस्तित्व शाश्वत है और यह जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से गुजरती है। इसी प्रक्रिया में चेतना का विस्तार होगा और…

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नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी में बीटेक छात्र अब ‘पुनर्जन्म’ और अंतर्यात्रा को एक विषय के रूप में अनिवार्य रूप से पढ़ेंगे। हालांकि आईआईटी के इस फैसले को लेकर विवाद शुरू हो गया है और सोशल मीडिया में पक्ष-विपक्ष में कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।सूत्रों के मुताबिक, इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष के छात्रों को “इंट्रोडक्शन टू कंशियसनेस एंड वेलवीइंग” पढ़ाया जाएगा। यह कोर्स भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) विभाग द्वारा पेश किया गया है। भारतीय ज्ञान प्रणाली विभाग की स्थापना सन् 2020 में की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक भारतीय ज्ञान को बढ़ाना देना है।…

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नई दिल्ली। ताजा शोधों से इस बात की आश्वस्ति मिली है कि दवाओं के सेवन के साथ ही कुछ खास प्रकार के आसन, प्राणायाम और ध्यान किए जाएं तो पीठ दर्द व कमर दर्द के पुराने मरीजों को भी आश्चर्यजनक ढंग से लाभ मिलता है। बशर्ते, योग्य योग शिक्षकों के निर्देशन में योगाभ्यास किए जाएं। दर्द के अलग-अलग कारण होने की वजह से सबको एक जैसा उपाय नहीं बताया जा सकता है। दर्द का निश्चित कारण पता किए बिना योगोपचार करने से भारी क्षति होती है। मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान और स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान ने बंगलुरू में संयुक्त रूप…

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किशोर कुमार //योगाभ्यासों के जरिए कैंसर जैसी घातक बीमारी को काबू में करने के दिशा में हम एक-दो कदम नहीं, बल्कि कई कदम आगे बढ़ गए हैं। तीन दशक पहले तक हम इस पड़ताल में थे कि क्या कैंसर से जूझ रहे मरीजों की मानसिक यंत्रणा कम करने में योगाभ्यासों की भूमिका हो सकती है? इस बात को लेकर  दुनिया भर में हुए शोधों के से निष्कर्ष निकला कि खास तरीके से “योग निद्रा” योग और कुछ अन्य योगाभ्यासों से कैंसर मरीजों को मानसिक लाभ ही नहीं मिलता, बल्कि कैंसर के जीवाणुओं का विकास धीमा हो जाता है, कई बार रूक भी जाता है। ऐसे भी…

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किशोर कुमार //राष्ट्रीय चेतना के अग्रदूत युगावतार श्री अरविंद घोष की 152वीं जयंती निकट है तो बात उनके संदर्भ में ही होगी। पर एक क्षेपक है। यशोधरा गहरी नींद में थीं। नवजात राहुल भी सो रहा था। ऐसा न था कि राजकुमार सिद्धार्थ के प्रेम में कोई कमी थी। फिर, राजकुमार ही थे तो सुख-सुविधाओं में भी कोई कमी न थी। फिर भी आधी रात को चुपके से अज्ञात की ओर चल पडे थे। क्यों? क्योंकि योग बल नहीं था और इसके बिना मन की गहराई से उठे सवाल का जबाव मिलना कठिन था कि मैं हूं कौन?पर श्री अरविंद…

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