Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com

Gurū Nānak, also known as Bābā Nānak, was the founder of Sikhism and is the first of the ten Sikh Gurus. His birth is celebrated as Guru Nanak Gurpurab on Katak Pooranmashi, i.e. October–November Read More

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भारत में मधुमेह पर पहली बार वैज्ञानिक शोध करने वाले परमहंस सत्यानंद सरस्वती कहते थे, “योग और औषधि के तालमेल से हम एक नए और बेहतर विश्व का निर्माण कर सकते हैं, जिसमें हमारी शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक और अधिमानसिक आवश्यकताओं पर पूरा ध्यान दिया जा सकेगा। योग और अन्य चिकित्सा-पद्धतियां एक दूसरे की पूरक हैं। वे परस्पर विरोधी नहीं हैं। यदि दवाओं के साथ योग का समन्वय किया जाए तो यह मधुमेह के निदान में एक शक्तिशाली क्रिया होगी।” किशोर कुमार एक तरफ कोरोना की मार तो दूसरी तरफ कहर बरपाता मधुमेह। योग की जन्मभूमि में यह हाल है, जबकि…

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किशोर कुमार // योग की बेहतर शिक्षा किस देश में और वहां के किन संस्थानों में लेनी चाहिए? यदि इंग्लैंड सहित दुनिया के विभिन्न देशों से प्रकाशित अखबार “द गार्जियन” से जानना चाहेंगे तो भारत के बिहार योग विद्यालय का नाम सबसे पहले बताया जाएगा। चूंकि ऐसा सवाल पश्चिमी देशों में आम है। इसलिए “द गार्जियन” ने लेख ही प्रकाशित कर दिया। उसमें भारत के दस श्रेष्ठ योग संस्थानों के नाम गिनाए गए हैं। बिहार योग विद्यालय का नाम सबसे ऊपर है। इस विश्वव्यापी योग संस्थान के संस्थापक परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती की समाधि के दस साल होने को हैं। फिर भी बिहार योग का आकर्षण…

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दक्षिण भारत के प्रतिष्ठित अप्पय्य दीक्षितार कुल में जन्मे और परदेश में अपनी चिकित्सा की धाक् जमाने वाले कुप्पू स्वामी पर किसी अदृश्य शक्ति का ऐसा जादू चला कि वे तमाम भौतिक सुखों को त्याग कर कठिन साधानाओं की बदौलत स्वामी शिवानंद सरस्वती बन गए थे। उनमें अद्भुत योग-शक्तियां थीं। वे एक ही समय अलग-अलग देशों में कई शरीर धारण कर सकते थे और खेचड़ी मुद्रा का प्रयोग करके हवा में उड़ सकते थे। पर वे इसे आत्म-ज्ञानियों के लिए मामूली बात मानते थे। उन्हें इस बात का हमेशा मलाल रहा कि संन्यास मार्ग पर चलने वाले ज्यादातर साधकों की…

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मिनी सहाय //जीवन में खुशी मिले, आनंद मिले, यह कौन नहीं चाहता। जीवन-शैली जैसी भी हो, कर्म जैसा भी हो, पर खुशी और आनंद की इच्छा तो सबकी रहती है। पर जीवन में खुशियां कैसे मिले? यह अक्सर बड़ा प्रश्न बन जाता है। वैदिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णन मिलता है कि हमारे जीवन में दु:ख क्यों होता है और किस विधि प्रसन्न रहा जा सकता है। ऋषि-मुनि सदियों से देश-काल के लिहाज से प्रसन्नता के सूत्र देने की कोशिश करते रहे हैं। लोभ, मोह, काम और क्रोध में फंसा मानव अमृत को त्याग कर विष पीता है। यह जानते हुए…

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मध्यप्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में एक विषय के तौर पर योग भी होगा। कोविड-19 से संक्रमित मुख्यमंत्री चौहान ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए खुद ही यह घोषणा की है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रत्येक स्कूल में एक-एक योग प्रशिक्षक की नियुक्ति की जाएगी। मुख्यमंत्री के मुताबिक नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्कूली पाठ्यक्रम में योग शिक्षा के साथ ही नैतिक शिक्षा को भी विशेष महत्व दिया जाए। इसके साथ ही संगीत, दर्शन, कला, नृत्य आदि विषय भी पाठ्यक्रम के हिस्सा होंगे। शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के मुताबिक प्रदेश में इस प्रकार के 10,000 स्कूल विकसित किए…

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देश के योग साधकों का मूड बदल रहा है। उन्हें ऑनलाइन योग प्रशिक्षण ही भा रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कोविड-19 संक्रमण का भय। खासतौर से दक्षिण भारत का ट्रेंड तो कुछ ऐसा ही दिख रहा है। सरकार ने हाल ही जिम खोलने का आदेश जारी किया था और बीती रात इसके लिए दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया था। पर लोगों का मिजाज कुछ अलग ही दिख रहा है। यह कई महीनों से आर्थिक संकट झेल रहे योग प्रशिक्षकों को सुकून देने वाली बात है। मदुरै के योग प्रशिक्षकों की माने तो ऑनलाइन योग के प्रति आम लोगों के झुकाव…

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पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम अपने छात्र जीवन में किन्हीं कारणों से अवसादग्रस्त हो गए थे। उन्होंने दशनामी संन्यास परंपरा के अगुआ स्वामी शिवानंद सरस्वती के बारे में काफी कुछ सुन रखा था। लिहाजा वे उनके पास गए और अपनी समस्याओं का बयान किया। स्वामी जी ने उन्हें जो उपदेश दिया, इससे वे बेहद प्रभावित हुए और उनका जीवन-दर्शन ही बदल गया। स्वामी जी ने तभी कहा था कि उन्हें भारत की अगुआई करनी है। तब यह बात डॉ. कलाम की कल्पना से परे थी। पर कालांतर में ऐसा ही हुआ। पूरी दुनिया में एक प्रखर शिक्षक…

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श्री अम्बाजी की आरती… ॐ जय अम्बे गौरी, मैय्या जय श्यामा गौरी…. हम सबकी जुबान पर है। पर आरती के रचयिता कौन हैं? क्या बीसवीं सदी के महान संत और ऋषिकेश स्थित डिवाइन लाइफ सोसाइटी के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती इसके रचयिता थे? जबाव है नहीं। दरअसल, गुजरात में 16वीं शताब्दी में जन्में स्वामी शिवनांद ने इस आरती की रचना की थी। इसे पहली बार सन् 1601 में देवी अम्बाजी के मंदिर में ‘यज्ञ’ की समाप्ति के उपरांत गाया गया था। यह मंदिर अंकलेश्वर के पास मांडवा बुज़र्ग गाँव स्थित मार्कंडेय ऋषि आश्रम के परिसर में है। मार्कंडेय ऋषि रचित…

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किशोर कुमार // भारत नि:संदेह योग और अध्यात्म की वैश्विक राजधानी है। हमारे पास अमूल्य यौगिक संसाधनों का खजाना है। पर, बिखरा हुआ है। वैश्विक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए देश में एक समृद्ध यौगिक संसाधन केंद्र की जरूरत आ पड़ी है। परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने सरकार को काफी पहले इस बाबत सुझाव दिया था। अब वक्त आ गया है कि सरकार बिना देरी किए उस सुझाव पर अमल करे। हमने दुनिया को अपनी यौगिक व आध्यात्मिक शक्ति की झांकी भर दिखलाई है। वास्तविक ज्ञान के खजाने से देश और दुनिया को लाभ मिले, इसके लिए अगले स्तर…

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