नई दिल्ली। ताजा शोधों से इस बात की आश्वस्ति मिली है कि दवाओं के सेवन के साथ ही कुछ खास प्रकार के आसन, प्राणायाम और ध्यान किए जाएं तो पीठ दर्द व कमर दर्द के पुराने मरीजों को भी आश्चर्यजनक ढंग से लाभ मिलता है। बशर्ते, योग्य योग शिक्षकों के निर्देशन में योगाभ्यास किए जाएं। दर्द के अलग-अलग कारण होने की वजह से सबको एक जैसा उपाय नहीं बताया जा सकता है। दर्द का निश्चित कारण पता किए बिना योगोपचार करने से भारी क्षति होती है।
मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान और स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान ने बंगलुरू में संयुक्त रूप से कमर दर्द से पीड़ित महिला और पुरूषों को मिलाकर 25 मरीजों पर योगाभ्यासों के प्रभाव का अध्ययन किया। इस काम के लिए ऐसे मरीजों को शामिल नहीं किया गया था, जिन्हें किसी बीमारी की वजह से दर्द था या वे गंभीर रूप से बीमार थे। 25 मरीजों में 22 महिलाएं और 13 पुरूष थे। अध्ययन के लिए कराए गए आसन, प्राणायाम और ध्यान संबंधी योगाभ्यासों का नतीजा हुआ कि कमर दर्द से वर्षों से परेशान मरीजों को सात दिनों के भीतर काफी राहत मिल गई थी।
स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान के योग तथा मैनेजमेंट स्टडीज विभाग ने पीठ दर्द से परेशान सूचना प्रौद्योगिकी पेशे से जुड़े 46 युवाओं पर योग के प्रभावों का अध्ययन किया। देखा गया कि योगाभ्यास न करने वाले मरीजों की तुलना में योगाभ्यास करने वाले मरीजों को दस दिनों के अभ्यास से अस्सी फीसदी तक राहत मिल गई थी। नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन और बोस्टन मेडिकल सेंटर की ओर से भी ऐसा ही अध्ययन कराया गया था, जिसकी अगुआई डॉ रॉबर्ट सपर की टीम ने की थी। अध्ययन के दौरान देखा गया कि कमर दर्द पुराना हो या नया, आसन, प्राणायाम और ध्यान की कुछ विधियां बेहद कारगर होती हैं। अध्ययन इसके लिए कम आय समूह वाले 320 मरीजों का चयन किया गया था। शोधकर्ता जानना चाहते थे कि योग भौतिक चिकित्सा के रूप में प्रभावी है या नहीं। वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि योग भौतिक चिकित्सा का एक उचित विकल्प हो सकता है। इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ पेन को भी कुछ ऐसे ही परिणाम मिले।
ज्यादातर अध्ययनों के दौरान देखा गया कि पवन मुक्तासन, मार्जारि आसन और भुजंगासन मेरूदंड और दूसरे जोड़ों को लचीला बनाने में काफी मददगार है। पीठ दर्द में प्रारंभिक स्तर पर सुप्त वज्रासन, ताडासन, कटिचक्रासन और मत्स्येंद्रासन लाभप्रद पाए गए। सायटिका के दर्द से राहत पाने में वज्रासन, मकरासन और बेहद सावधानी के साथ भुजंगासन व शलभासन लाभप्रद साबित हुए। स्लिप डिस्क के मरीजों को विशेष रूप से अद्वासन औऱ मकरासन से काफी लाभ मिला। एक बात और जो बेहद महत्वपूर्ण है। शरीर में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होने से उसका अवशेष जैसे, यूरिक एसिड बाहर नहीं निकल पाता तो हड्डियों के जोड़ों में अपना स्थान बना लेता है। जिन लोगों की पाचन क्रिया ठीक न होती है, वे भी शारीरिक कड़ेपन के शिकार हो जाते हैं। इसलिए पीठ व कमर दर्द से मुक्ति पाने के लिए दवाइयां और योगाभ्यास ही काफी नहीं होता। खानपान पर भी ध्यान देना जरूरी होता है।