सर्दियों के मौसम में कई स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं। अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, जोड़ों का दर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी और विशेष रूप से उच्च रक्तचाप की समस्याएं सताने लगती हैं। वैसे तो उच्च रक्तचाप की वजहें और भी हैं। मुंबई की विख्यात चिकित्सक रह चुकीं बिहार योग विद्याय की संन्यासी और “यौगिक मैनेजमेंट ऑफ कैंसर” की लेखिका डॉ. स्वामी निर्मलानंद सरस्वती का कहना है कि धमनियों के सिकुड़ जाने से उच्च रक्तचाप और हृदयरोग को सीधा निमंत्रण मिलता है। सर्दियों के साथ ही, अस्वस्थ्यकर जीवन पद्धति और खानपान की वजह से आदमी मोटा होता है तो भी धमनियां सिकुड़ जाती हैं। यह काम उम्र के साथ भी होता है। कोलेस्ट्रॉल और कैल्शियम धमनियों में डिपाजिट होने से भी धमनियां सिकुड़ जाती हैं। फिर तो मधुमेह भी अपनी चपेट में ले लेता है। दरअसल उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय रोग – ये तीनों सगे भाई-बहनों की तरह हैं। उनके माता-पिता तनाव, मोटापा, चिड़चिड़ा स्वभाव और गलत रहन-सहन हैं। आजकल इन बीमारियों की छोटी बहन भी आ गई हैं। वह हैं – थायरॉयड।
जाहिर है कि सर्दियों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक की घटनाएँ अधिक होने की एक प्रमुख वजह उच्च रक्तचाप है। उच्च रक्तचाप पर योग के प्रभावों को लेकर इस साल भी कई वैज्ञानिक अध्ययन किए गए हैं। इन सभी अध्ययनों का निष्कर्ष है कि विशेष रूप से प्राणायाम और प्रत्याहार के संयोजन से रक्तचाप नियंत्रित रहता है। ग्लोबल एडवांसेज इन इंटीग्रेटिव मेडिसिन एंड हेल्थ में प्रकाशित शोध प्रपत्र के मुताबिक अमेरिका स्थित भारतीय चिकित्सा विज्ञानी सचिन प्रांजपेय और अन्य चिकित्सों के एक समूह ने इसी साल लगातार तीन महीनों तक के अध्ययन में पाया कि नियमित प्राणायाम और ध्यान के अभ्यास करने से उच्च रक्तचाप वाले रोगियों में रक्तचाप में स्पष्ट और स्थायी कमी आई। इसी साल एक दूसरा अध्ययन आंध्र प्रदेश के नांदयाल स्थित राजकीय मेडिकल कालेज की डॉ पी राजेश्वरी, डॉ सज्जा माधुरी और कडप्पा मेडिकल कालेज की डॉ रजनी आर ने मिलकर किया। इससे भी पता चला कि रोजाना आधा घंटे तक प्राणायाम और ध्यान के अभ्यासों से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय के अधीनस्त योग रिसर्च फाउंडेशन और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल) के संयुक्त तत्वावधान में वर्षों पहले उच्च रक्तचाप मरीजों पर योग के प्रभावों को जानने के लिए अध्ययन किया गया था। उससे भी पता चला था कि मुख्य रुप से प्राणायाम की कुछ विधियां और योगनिद्रा उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद हैं। इस अध्ययन के लिए उच्च रक्तचाप के 48 मरीजों का चयन किया था। इनमें से इनमें से 34 मरीजों का योग ग्रुप बनाया गया और 14 मरीजों का कंट्रोल ग्रुप। भेल के भोपाल स्थित परिसर में हुए इस अनुसंधान के दौरान दोनों ही ग्रुपों के मरीज एक ही चिकित्सक की लिखी दवा लेते रहे। खानपान की एक समान रहा। फर्क इतना कि योग ग्रुप के मरीजों के लिए सप्ताह में छह दिन नब्बे मिनट तक कक्षा चलती थी।
मरीजों की औसत उम्र 55 साल थी औऱ उनमें से आधे मरीजों की फैमिली हिस्ट्री में उच्च रक्तचाप था। योग ग्रुप के मरीजों में से दस को मधुमेह और 11 को हृदय रोग था। सात मरीजों को थॉयराइड की समस्या थी। इन सबको आसनों में पवन मुक्तासन ताड़ासन, तिर्यक् ताड़ासन, कटिचक्रासन, बद्धहस्तोत्थानासन और मार्जरी कराए जाते थे। प्राणायाम में श्वास की सजगता का अभ्यास, उदर स्वसन, नाड़ीशोधन, भ्रामरी और उज्जायी प्राणायाम तथा प्राण मुद्रा व हृदय मुद्रा का अभ्यास कराया जाता था। प्रत्याहार में कायास्थैर्यम्, अजपाजप और योग निद्रा का अभ्यास।
इन योगाभ्यासों के बेहतर नतीजे मिलने शुरू हुए तो अनुसंधानकर्ताओं की यह जानने की इच्छा हुई कि इतने सारे योगाभ्यासों में कौन-कौन से योगाभ्यास ज्यादा लाभदायक हैं। वे कई महीनों के प्रयोग के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उज्जायी प्राणायाम, नाड़ीशोधन प्राणायाम, भ्रामरी और योगनिद्रा उच्च रक्तचाप पर काबू पाने के लिए रामबाण की तरह हैं। उज्जायी प्राणायाम और योगनिद्रा के परिणाम तो बेहद चौंकाने वाले थे। अनुसंधानकर्ता योग ग्रुप के मरीजों को पांच मिनट उज्जायी प्राणायाम कराते और दो मिनट विश्राम देते। इस दौरान हर मिनट रक्तचाप की जांच के दौरान देखा गया कि सिस्टोलिक यानी ऊपर वाला रीडिंग सात मिनटों में 166 से घटकर 142 हो गया। इसी तरह डायास्टोलिक यानी नीचे वाला रक्तचाप 87 से घटकर 82 हो गया था।
अनुसंधान के दौरान देखा गया कि उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में योग निद्रा उज्जायी प्राणायाम से भी ज्यादा असरदार है। जिन मरीजों का उज्जायी प्राणायाम के बाद सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 138 था, वह घटकर 128 रह गया था। डायास्टोलिक ब्लड प्रेशर 89 से घटकर 82 हो गया था। पर सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात हर्ट रेट को लेकर थी। प्राणायाम से ब्लड प्रेशर तो कम होता था। पर हर्ट रेट कम होने के बजाए थोड़ा बढ़ ही जाता था। चिकित्सा विज्ञान के मुताबिक ऐसा घटे हुए ब्डल प्रेशर को कंपेन्सेट करने के लिए होता है। आदर्श स्थिति यह है कि प्रेशर कम हो तो हर्ट रेट भी उसी अनुपात में कम रहे। ताकि हृदय को अधिक विश्रम मिल सके। योग निद्रा के दौरान देखा गया कि ब्लड प्रशेर कम हुआ तो हर्ट रेट भी कम हो गया था। जाहिर है कि योग निद्रा ज्यादा प्रभावी साबित हुआ।
दूसरी तरफ कंट्रोल ग्रुप के मरीजों का ब्लड प्रेशर नियमित दवाओं के बावजूद एक साल के भीतर 141 से बढ़कर 142 हो गया था। डायास्टोलिक प्रेशर 90 ही रह गया था। अब यह जानना दिलचस्प होगा कि एक साल के अनुसंधान के बाद मरीजों की अंग्रेजी दवाओं पर कितनी निर्भरता रह गई थी। योग ग्रुप के 34 मरीजों में से सिर्फ दो मरीजों को ज्यादा दवाएं लेनी पड़ी थी। तेरह लोगों की दवाएँ बेहद कम हो गईं और चार लोगों की दवाएं बंद हो गईं। कंट्रोल ग्रुप के चार लोगों को नियमित दवाओं के अलावा चार दवाएं लेनी पड़ी। बाकी दस लोग साल भर पहले की तरह दवाओं के डोज लेते रहने को मजबूर थे।
स्पष्ट है कि उच्च रक्तचाप वालों के लिए योग बेहद लाभदायक है। सर्दियों में जो पहला काम किसी तरह शरीर को ठंड से बचाने का होना चाहिए। साथ ही योग को दैनिक दिनचर्या में शामिल किया जाना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और योग विज्ञान विश्लेषक हैं)

