- Homepage
- News & Views
- Editor’s Desk
- Yoga
- Spirituality
- Videos
- Book & Film Review
- E-Magazine
- Ayush System
- Media
- Opportunities
- Endorsement
- Top Stories
- Personalities
- Testimonials
- Divine Words
- Upcoming Events
- Public Forum
- Astrology
- Spiritual Gurus
- About Us
Subscribe to Updates
Subscribe and stay updated with the latest Yoga and Spiritual insightful commentary and in-depth analyses, delivered to your inbox.
Author: Kishore Kumar
Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com
योग से होगा भटके बाल मन का उद्धार
अवयस्क छात्र-छात्राओं में बढ़ी हिंसक प्रवृत्तियां अब आम है। अक्सर बाल अपराध से जुड़ी कोई न कोई वीभत्स घटना अखबारों की सुर्खियां बनती हैं। यौन अपराध तो चरम पर है। ताज़ा राष्ट्रीय आँकड़े बताते हैं कि देश में नाबालिग लड़कों द्वारा नाबालिग लड़कियों के खिलाफ यौन अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। समाज शास्त्री इसकी प्रमुख वजह इंटरनेट, सामाजिक बदलाव, नैतिक शिक्षा की कमी, जागरूकता का अभाव आदि मानते हैं। पर, योग के परमहंसों की मानें तो बच्चों की हिंसक प्रवृत्तियां केवल बाह्य कारकों का परिणाम नहीं, बल्कि इसमें आंतरिक बदलावों की विशिष्ट भूमिका है।कैसे? जरा इसके विज्ञान को…
‘वैरिकोज वेंस’ के लिए बड़े काम हैं ये योगासन
खतरे की घंटियों की हमने अनदेखी की। अब जीवन की धाराएँ ही अवरुद्ध होने लगी हैं। जी हां, वैरिकोज वेंस के कारण देश की पच्चीस फीसदी आबादी का जीवन तबाह है। पैरों की नीली, बैंगनी या लाल हो कर सूज चुकी नसें, पैरों और घुटनों से लेकर कमर तक के दर्द जीवन में जहर घोल रहे हैं। इंडियन वेन कांग्रेस 2024 की मानें तो वैरिकोज वेंस वाले लोगों की संख्या तीस फीसदी तक हो सकती है। एलोपैथी और आयुर्वेदिक पद्धतियों में तो इसका निदान है। पर, विभिन्न शोधों से पता चला है कि वैरिकोज वेंस, जिसे अपस्फीत शिरा या वेरिकोसाइटिस…
श्री अरविंद : भारत के रत्न, राष्ट्रवादी संत
अक्सर मन में ख्याल आता है कि जब विदेशियों को लगा था कि महान राष्ट्र नायक, स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणा स्तंभ और अद्वितीय आध्यात्मिक चेतना के अग्रदूत श्री अरविंद घोष नोबेल पुरस्कार के हकदार हैं, तो भारत सरकार को उन्हें “भारत रत्न” से विभूषित करने का ख्याल क्यों नहीं आया?भारत सरकार ने सन् 1992 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की थी। यह अलग बात है कि उनके परिवार ने कुछ कारणों से इस सम्मान को लेने इंकार कर दिया था। पर उसी नेताजी ने अपने पत्र में लिखा था – “अरबिंदो घोष बंगाल…
माता जानकी, प्रयागदास और रक्षाबंधन : अनोखी कथा
श्रावण का महीना था। गांव में रक्षाबंधन का दिन आया। हर बहन अपने-अपने भाई के हाथ पर राखी बाँध रही थी। कहीं हँसी के ठहाके, कहीं मिठाई की खुशबू। पर उस दिन एक कोना ऐसा भी था, जहाँ सात साल का छोटा-सा लड़का प्रयागदास अपनी माँ के पास बैठा, उदास होकर रो रहा था।”माँ… मुझे किसी ने राखी नहीं बाँधी!” माँ ने धीरे से कहा, “बेटा, तुम्हारी कोई बहन नहीं है…” बालक का सीधा-सा सवाल, “माँ! जब सबके पास हाथ-पाँव, नाक-कान हैं और बहन है… तो मेरी बहन क्यों नहीं?” माँ कुछ पल चुप रहीं, फिर बोलीं, “तुम्हारी भी बहन…
षट्कर्म : शुद्धि से सिद्धि तक की सीढ़ी
संत मत है कि घटशुद्धि से ही घटरूपी शरीर हठयोग साधना के योग्य होता है। घट की शुद्धि बिना यह कच्चे घड़े के समान है। यह लेख उसी घटशुद्धि के लिए षट्कर्म रुपी योग विद्या का विज्ञान बताने के लिए है। लेकिन पहले नाथपंथ के सिद्ध योगी चौरंगीनाथ से जुड़े एक प्रसंग पर गौर फरमाइए। चौरंगीनाथ को तमाम कोशिशों के बावजूद योग साधनाओं में सफलता नहीं मिल पा रही थी। तब गुरु को अपनी व्यथा सुनाई। कौन थे गुरु? मत्स्येंद्रनाथ? ज्ञानेश्वरी जैसे ग्रंथ में मत्स्येंद्रनाथ के बाद तथा गोरखनाथ के पहले गुरु-शिष्य परंपरा में चौरंगीनाथ का नाम आता है। दूसरी तरफ कई जगहों पर…
नागपंचमी और उसके आध्यात्मिक आयाम
अद्भुत! जीव-जंतुओं में भी ईश्वर का प्रतिरूप और उसकी पूजा! इसका मर्म वे क्या जानेंगे, जो जड़ों से कट गए और भारत को सपेरों का देश मानने लगे थे। पर, भारत जैसा आध्यात्मिक देश तो अपनी जड़ों से मजबूती से जुड़ा हुआ है। वह जिस तरह राम और रावण में फर्क जानता है, उसी तरह नाग के गुण-दोष को भी समझता है। उसे मालूम है कि वासुकि नाग में विष भरा है तो अमृत निकालने के काम भी वही आता है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। त्रिगुणायत मानवों को ही देख लीजिए। उसमें एक तरफ शील है, मर्यादा…
पराजयवादी प्रवृत्ति को परास्त करो – यही मंत्र संबल बना
“मैं आपको अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना के बारे में बताना चाहता हूँ, जो 1958 में घटी। आप में से कुछ ने इसे मेरी पुस्तक ‘विंग्स ऑफ फायर’ में पढ़ा होगा। लेकिन यहाँ उपस्थित युवाओं के लिए, जिन्होंने यह पुस्तक नहीं पढ़ी, मैं इसे दोहराना चाहूँगा। जब मैं एक छोटा बालक था, मेरा सपना था कि मैं उड़ान भरूँ। मेरे पास एक अद्भुत शिक्षक थे, शिवसुब्रमण्या अय्यर, जिन्होंने मुझे विज्ञान की ओर प्रेरित किया और उड़ान से संबंधित कुछ करने का विचार दिया। इसलिए मैंने वैमानिकी अभियांत्रिकी में प्रवेश लिया और 1957 में स्नातक हुआ, जो बहुत समय पहले…
कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बदलता यौगिक परिदृश्य
कृत्रिम बुद्धिमत्ता वाले योग प्रशिक्षक अब हमारी आपकी दहलीज पर दस्तक देने लगे हैं। एआई अनुकूलित यौगिक उपायो के रुप में उनकी कोंपलें निकल आई हैं। इसके कारण भारत सहित दुनिया भर में योग का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। योगशास्त्रों में योग का अंतिम लक्ष्य आत्मोत्थान कहा गया है। पर, दुनिया भर में ज्यादातर लोग स्वास्थ्य कारणों से योगाभ्यास करते हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) अनुकूलित योग उपायों से स्वास्थ्य संवर्द्धन की चाहत वाले योगाभ्यासियों का कितना हित होगा? कही ऐसा तो नहीं होगा कि एआई अनुकूलित यौगिक उपाय योग विद्या के…
डिजिटल युग के लिए वरदान है त्राटक
स्मार्टफोन, सोशल मीडिया और डिजिटल उपकरण हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। ये तकनीकें हमें दुनिया से जोड़ती हैं। लेकिन इसका बुरा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। हमारा शरीर केवल मांस, हड्डियों और रक्त का बना कोई यंत्र नहीं, बल्कि अत्यंत सुसंवेदनशील, सजग और लयबद्ध तंत्र है, जो हमारी प्रत्येक क्रिया-प्रतिक्रिया से प्रभावित होता है। इसलिए, डिजिटल आदतें न केवल हमें थकाती हैं, बल्कि नींद, खुशी और एकाग्रता के लिए आवश्यक सेरोटोनिन और मेलाटोनिन जैसे रसायनों का संतुलन बिगड़ जाता है। छोटे बच्चों का मनोविकार से ग्रस्त होना इस बात का प्रमाण है। ऐसे में योग…
अठारह शिव मंदिरों का अद्भुत विज्ञान!
श्रावण महीना हिंदू धर्म में भगवान शिव की भक्ति के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है। यह महीना भक्ति, तपस्या, और आध्यात्मिक साधना के लिए समर्पित है, क्योंकि इस समय प्रकृति और मानव चेतना का तालमेल विशेष रूप से शक्तिशाली होता है। पर, शिव-शक्ति आकाश रेखा पर अवस्थित मंदिरों का विशेष आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। ये मंदिर न केवल भगवान शिव और शक्ति के प्रतीक हैं, बल्कि प्राचीन भारतीय यौगिक विज्ञान और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ मानव जीवन के संबंधों को भी दर्शाते हैं।जरा सोचिए, हज़ारों साल पहले, जब न कोई उपग्रह था, न जीपीएस, न ही…
IMAPORTANT LINKS
Subscribe to Updates
Subscribe and stay updated with the latest Yoga and Spiritual insightful commentary and in-depth analyses, delivered to your inbox.