Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com

महाकुंभ मेले के दिव्य वातावरण में, आफ्टरनून वॉइस की संस्थापक संपादक वैदेही तमन की नवीनतम पुस्तक “मोनास्टिक लाइफ: इंस्पायरिंग टेल्स ऑफ एंब्रेसिंग मॉकहुड” का विमोचन किया गया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर डॉ. उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज सहित अनेक संतों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इसे आधुनिक आध्यात्मिक साहित्य में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बना दिया।पुस्तक का अनावरण करते हुए महामंडलेश्वर डॉ. उमाकांतानंद सरस्वती जी महाराज ने इसे असाधारण व्यक्तियों की आध्यात्मिक यात्रा का गहन प्रतिबिंब” बताया। साथ ही कहा, “यह पुस्तक दर्शाती है कि सच्चे आध्यात्मिक साधक के निर्माण में शिक्षा और ज्ञान कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जो लोग…

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आज अनेक देशों में युद्ध, सांप्रदायिक हिंसा और लैंगिक असमानता जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं। ऐसे में रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएं बड़े काम की हैं। युगदृष्टा और परमज्ञानी रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएं केवल धार्मिक उपदेश भर नहीं हैं, बल्कि वे एक जीवन शैली को दर्शाती हैं, जो आधुनिक युग की जटिलताओं के बीच भी शांति, प्रेम और सहिष्णुता का मार्ग दिखाती हैं। साथ ही हर व्यक्ति को आत्मिक उत्थान और समाज में सकारात्मक योगदान देने की प्रेरणा देती हैं।हमने हाल ही देखा कि प्रसिद्ध तेलुगु फिल्म अभिनेता चिरंजीवी में किस तरह पितृसत्ता का भाव गहराई से जमा हुआ है। तभी…

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एबॉट इंडिया नाम से तो हम सब वाकिफ हैं ही। चिकित्सकीय उत्पादों का निर्माण करने वाली इस कंपनी ने लोगों के आहार-व्यवहार के कारण पाचन संबंधी समस्याओं और उससे उत्पन्न खतरों को लेकर देशव्यापी सर्वेक्षण करवाई तो पता चला कि गैर महानगरों की तुलना में महानगरों के ज्यादा लोग पाचन संबंधी समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं और इस वजह से मधुमेह, मानसिक विकास और हृदय रोग जैसी बीमारियों का जन्म हो रहा है। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार गैर महानगरों के 19 फसदी की तुलना में महानगरों के 23 फीसदी लोग कब्ज पीड़ित रहते हैं।आयुर्वेद शास्त्र में ज्यादातर बीमारियों…

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साधु-संन्यासियों की संगठित फौज नहीं, उनका कोई नगर नहीं, राजधानी नहीं….यहां तक कि ज्ञात किला भी नहीं। पर ये लड़ाकू साधु-संन्यासी अंग्रेजी फौज से दो-दो हाथ करने से नहीं घबड़ातें। उन्हें धूल चटा देते हैं….। कलकत्ते में बैठकर पूरे देश पर नियंत्रण बनाने का ख्वाब रखने वाले गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स को ये बातें बेहद परेशान करती थीं। वे कई बार साधु-संन्यासियों की हरिध्वनि से वे कांप जाते थे। उनके सिपाही भी भयभीत रहने लगे थे। ”वंदे मातरम्…” गीत के रचयिता कवि-उपन्यासकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के कालजयी उपन्यास “आनंदमठ” में अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध का यह वृतांत बड़ी खूबसूरती से प्रस्तुत…

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योग और अध्यात्म की दृष्टि से जनवरी महीने की बड़ी अहमियत है। अपने वेदांत दर्शन के कारण दुनिया में भारत का मान बढ़ाने वाले सर्वकालिक संत स्वामी विवेकानंद और योगबल की बदौलत दुनिया को चमत्कृत करने वाले आधुनिक युग के वैज्ञानिक योगी महर्षि महेश योगी की जयंती इस महीने में एक ही दिन यानी 12 जनवरी को मनाई जाती है। उनकी शिक्षा की प्रासंगिकता बनी ही रहती है। चाहे युवा-शक्ति के अभ्युत्थान की बात हो या फिर बंगाल में 1899 में आए प्लेग से उत्पन्न पीड़ाएं, स्वामी विवेकानंद अपना अनुभव साझा करते हुए कहते थे – “सजगता की शक्ति ऐसी है कि…

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आध्यात्मिक यात्रा में काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार को शत्रु माना गया है और इनसे मुक्त हुए बिना पूर्णता प्राप्त होना मुश्किल ही होता है। पर, हिमालय के योगी, योगियों के योगी महर्षि महेश योगी मोहग्रस्त हो गए थे। ज्योतिर्मठ में शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जैसे ज्ञानी संत का प्रिय शिष्य मोहग्रस्त हो जाए, तो सबका चौंक जाना लाजिमी था। त्वरित धारणा बनी कि महर्षि योगी की आध्यात्मिक साधना में कुछ कमी रह गई होगी। हालांकि शास्त्रों में महान ऋषियों के क्रोधित होने, मोहग्रस्त होने के प्रसंग भरे पड़े मिलते हैं और अध्यात्म की कसौटी पर उन परिणामों का…

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अरुण कुमार शर्मा    भारत के उत्तरी भाग में किसी भी धार्मिक समारोह के अन्त में प्रायः ओम जय जगदीश हरे…आरती बोली जाती है। कई जगह इसके साथ ‘कहत शिवानन्द स्वामी’ या ‘कहत हरीहर स्वामी’ सुनकर लोग किन्हीं शिवानन्द या हरिहर स्वामी को इसका लेखक मान लेते हैं; पर सच यह है कि इसके लेखक पण्डित श्रद्धाराम फिल्लौरी थे। आरती में आयी एक पंक्ति ‘श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ…’ में उनके नाम का उल्लेख होता है। श्रद्धाराम जी का जन्म पंजाब में सतलुज नदी के किनारे बसे फिल्लौर नगर में 30 दिसम्बर, 1837 को पंडित जयदयालु जोशी एवं श्रीमती विष्णुदेवी के घर…

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हम नववर्ष की दहलीज पर कदम रख चुके हैं। नववर्ष में नई आशाएं होती हैं, सपने होते हैं। आंतरिक इच्छा होती है कि नववर्ष नई संभावनाएं लेकर आए, जो जीवन को खुशियों से भर दे। पर, यक्ष प्रश्न सदा बना रहता है कि खुशी मिले कैसे? जीवन आनंदमय हो कैसे? योगी कहते हैं कि इस लक्ष्य की प्राप्ति योगमय जीवन से ही संभव है। तभी भारत के परंपरागत योग का लक्ष्य कभी केवल बीमारियों से मुक्ति नहीं रहा, बल्कि जीवन में पूर्णत्व योग का लक्ष्य रहा है।आज योग का जैसा स्वरूप है, एक सौ साल पहले ऐसा नहीं था। बच्चे…

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दुनिया भर में क्रिसमस और नववर्ष के आगमन की धूम के बीच 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के मौके पर दुनिया भर में प्राय: सभी धर्मों के लोगों ने प्रकारांतर से ध्यान साधनाएं कीं। मनोविज्ञानियों और चिकित्सकों ने मानसिक स्वस्थ्य के आलोक में विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर इसकी महत्ता बतलाने की कोशिश की तो संतों ने शारीरिक व मानसिक स्वस्थ्य की बेहतरी के साथ ही आध्यात्मिक उत्थान के लिए ध्यान साधना के महत्वों पर प्रकाश डाला।   दुनिया भर में क्रिसमस की धूम है तो दूसरी तरफ धर्मों की सारभूत एकता का संदेश देता झारखंड के देवघर जिला स्थित…

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