किशोर कुमार //
चिकित्सा विज्ञान ने भी बिहार योग या सत्यानंद योग का लोहा मान लिया है। इस योग के प्रवर्तक और बिहार योग विद्यालय के संस्थापक परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के योग से रोग भगाने संबंधी अनुसंधानों को आधार बनाकर अगल-अलग देशों के चिकित्सकों व चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों ने अध्ययन किया और स्वामी जी के शोध नतीजों को कसौटी पर सौ फीसदी खरा पाया।
बिहार के मुंगेर स्थित विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय की स्थापना के 50 साल पूरे होने पर मुंगेर में 2013 में विश्व योग सम्मेलन हुआ तो उसमें भी बिहार योग या सत्यानंद योग पर वैज्ञानिक अध्ययनों के प्रभावों पर भी खूब चर्चा हुई थी। परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने तांत्रिक योग की प्रधानता के साथ योग के सभी घटकों को मिलाकर समन्वित योग विकसित कर रखा है। तांत्रिक योग की इस पद्धति में कुंडलिनी योग, क्रियायोग, मंत्रयोग, लययोग और प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के उच्च स्तरों के अभ्यास शामिल हैं। स्वामी जी ने वेदों से भक्तियोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग, और चक्रों के सिद्धांत को विभिन्न घटकों के रूप में लिया और ध्यान की पद्धतियां भी विकसित कीं।
पर “योग निद्रा” स्वामी जी का दुनिया को दिया गया अमूल्य उपहार है। योग निद्रा के प्रभाव से कई असाध्य रोग जड़ से समाप्त हो रहे हैं। कई रोगों को नियंत्रण में रखने में सफलता मिल रही है। इसमें कैंसर जैसी घातक बीमारी भी शामिल है। परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने तंत्र शास्त्र में वर्णित न्यास पद्धति के गूढ़ ज्ञान को वैज्ञानिक ढ़ंग से विकसित करके योग निद्रा दुनिया के सामने लाया था। उन्होंने लंबे अनुसंधानों और अनुभवों से साबित कर दिया कि “योग निद्रा” के अभ्यास से संकल्प-शक्ति को जागृत कर आचार-विचार, दृष्टिकोण, भावनाओं और सम्पूर्ण जीवन की दिशा को बदला जा सकता हैं।
योग निद्रा केवल तनाव दूर करने और गहन शारीरिक विश्राम व शिथिलता प्राप्त करने की एक विधि मात्र नहीं है, बल्कि प्रयोगों से साबित हो चुका है कि यह सीखने की क्षमता में वृद्धि का एक अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है। स्वामी जी तो यहां तक मानते हैं कि वह समय भी आएगा जब सभी उम्र के विद्यार्थियों को योग निद्रा के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी। उनकी यह बात हकीकत में बदलती दिख रही है और कई देश इस दिशा में आगे बढ़ भी चुके हैं।
आधुनिक शिक्षा पद्धति में जहां कहीं भी इस विद्या का प्रयोग किया गया है, उसके बेहतर नतीजे देखने को मिले हैं। बुल्गारियन मनोवैज्ञानिक व इंस्टीच्यूट ऑफ सजेस्टोपेडी इन सोफिया के संस्थापक डॉ जॉर्जी लोजानोव योग निद्रा का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में एक नया वातावरण तैयार करने के लिए कर रहे हैं। ताकि बिना प्रयास के ज्ञान अर्जन किया जा सके। उन्हें इसमें सफलता भी मिल रही है।
अमेरिका के फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन के दौरान बीस छात्रों को पांच दिनों में योग निद्रा के जरिए रूसी भाषा सिखा दी, जबकि इनका रूसी भाषा से दूर-दूर का रिश्ता नहीं था। इन सभी विद्यार्थियों को निद्रा की अवस्था में रूसी संज्ञाओं को उनके अंग्रेजी समानार्थी शब्दों के साथ सुनाया गया। मशीनों के संकेतकों से पता चला कि शुरू की तीन रातों में स्मरण शक्ति 10 फीसदी की दर से बढ़ रही थी जो अंतिम दो रातों में बढ़कर 13 फीसदी हो गई थी। इससे पता चला कि नींद में सीखने की प्रक्रिया समय के साथ प्रगति कर रही है। यह प्रयोग शुरू करने से पहले ईईजी मशीन से जांच करके यह सुनिश्चित किया गया था कि विद्यार्थी सामान्य जागृत अवस्था में नहीं हैं और वे अंतर्मुखी हो गए हैं।
वैसे स्वमी सत्यानंद सरस्वती वर्षों पहले यह प्रयोग अपने उत्तराधिकारी और बिहार योग विद्यालय व विश्व योगपीठ के परमाचार्य परमहंस स्वामा निरंजनानंद सरस्वती पर कर चुके थे। स्वामी निरंजन चार साल की अवस्था में आश्रम आ गए थे। उनकी औपचारिक शिक्षा कुछ भी नहीं है। पर योग निद्रा के जरिए दी गई शिक्षा की बदौलत वह ज्ञान का उच्चतम मुकाम हासिल कर चुके हैं। बीते साल मुंगर के पोलो मैदान में विश्व योग सम्मेलन हुआ तो उसमें आए 56 देशों के प्रतिनिधियों ने अपनी भाषा में व्याख्यान दिया और स्वामी निरंजनानंद सरस्वती तुरंत ही उसे अंग्रेजी और हिंदी में अनुवाद करके बोलते गए थे।
मनोवैज्ञानिक रोग, अनिद्रा, तनाव, नशीली दवाओं के प्रभाव से मुक्ति, दर्द का निवारण, दमा, पेप्टिक अल्सर, कैंसर, हृदय रोग आदि बीमारियों पर किए गए अनुसंधानों से योग निद्रा के सकारात्मक प्रभावों का पता चल चुका है। अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में किए गए एक अध्ययन में देखा गया कि योग निद्रा के नियमित अभ्यास से रक्तचाप की समस्या का निवारण होता है। अमेरिका के शोधकर्ताओं ने योग निद्रा को कैंसर की एक सफल चिकित्सा पद्धति के रूप में स्वीकार किया है। टेक्सास के रिडियोथैरापिस्ट डा. ओसी सीमोनटन ने एक प्रयोग में पाया कि रेडियोथेरापी से गुजर रहे कैंसर के रोगी को योग निद्रा के अभ्यास से उसका जीवन-काल काफी बढ़ गया था।
योग निद्रा का उपयोग भविष्य में आने वाली परेशानियों का सामना करने के लिए किया जाने लगा है। हाल के कुछ वर्षों में कुछ महान खिलाड़ियों और खेल प्रशिक्षकों ने योग निद्रा का प्रयोग अपनी क्षमता बढाने के लिए किया था। उसके नतीजे सामने आ भी रहे हैं। अमेरिका के पीट्सबर्ग स्थित प्रेसबाईटेरियन यूनिवर्सिटी कालेज हॉस्पीटल की ओर से किए गए अनुसंधान से पता चल चुका है कि योग निद्रा दर्द से मुक्ति दिलाती है। इस अध्ययन में शामिल हुए 54 रोगियों को योग निद्रा की बदौलत दर्द निवारक दवाइयों से मुक्ति मिल गई थी।
स्वामी सत्यानंद कहा करते थे – “अधिकतर लोग अपने तनावों का निराकरण किए बिना सोते हैं। इसे निद्रा कहते हैं। पर योग निद्रा का अर्थ है सभी बोझो को उतार कर सोना। यह एक महत्वपूर्ण विधि है जिसकी बदौलत जीवन आनंदमय बन जाता है।“ वाकई, जिन लोगों ने योग निद्रा को आत्मसात् कर लिया है, उन्हें इसकी अच्छाइयों की अनुभूति निश्चित रूप से होती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और योग विज्ञान विश्लेषक हैं।)
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चिकित्सा विज्ञान ने भी माना बिहार योग का लोहा
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