आजकल उपलब्ध सुसंगठित योग पुस्तकों में आसन प्राणायाम मुद्रा बंध को अंतर्राष्ट्रीय जगत में एक विशेष स्थान प्राप्त है। बिहार योग विद्यालय द्वारा सन् 1969 में इसके प्रकाशन के बाद से कम से सोलह बार इस पुस्तक का पुनर्मुद्रण हो चुका है। अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद भी किए गए। इस बहुआयामी संदर्भ ग्रंथ में स्पष्ट सचित्र विवरण के साथ ही क्रमबद्ध दिशा-निर्देश एवं चक्र-जागरण हेतु विस्तृत मार्ग-दर्शन प्रदान किए गए हैं। योगाभ्यासियों एवं योगाचार्यों को इस ग्रंथ से हठयोग के सरलतम से उच्चतम योगाभ्यासों का परिचय प्राप्त होता है। चिकित्सकों के लिए भी यह बेहतर ग्रंथ है।
बिहार योग विद्यालय, मुंगेर के संस्थापक परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा लिखित इस ग्रंथ का बिहार योग या सत्यानंद योग के शिक्षकों व विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य कई परंपराओं द्वारा भी उपयोग मुख्य संदर्भ-ग्रंथ के रूप में किया जाता है। यह पुस्तक हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में बिहार योग विद्यालय के अलावा अमेजन से लेकर फ्लिपकार्ट तक पर उपलब्ध है।