नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी में बीटेक छात्र अब ‘पुनर्जन्म’ और अंतर्यात्रा को एक विषय के रूप में अनिवार्य रूप से पढ़ेंगे। हालांकि आईआईटी के इस फैसले को लेकर विवाद शुरू हो गया है और सोशल मीडिया में पक्ष-विपक्ष में कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष के छात्रों को “इंट्रोडक्शन टू कंशियसनेस एंड वेलवीइंग” पढ़ाया जाएगा। यह कोर्स भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) विभाग द्वारा पेश किया गया है। भारतीय ज्ञान प्रणाली विभाग की स्थापना सन् 2020 में की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक भारतीय ज्ञान को बढ़ाना देना है। इस नए पाठ्यक्रम में चेतना के सिद्धांतों, भारतीय कला और नृत्य के मन पर प्रभावों और ध्यान अभ्यास जैसे विषय होंगे। साथ ही, शारीरिक की संरचना और पेट-दिमाग को लेकर पश्चिमी और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण भी पेश किए गएं हैं। ऐसा इसलिए कि क्रोध, चिंता, उदासी, उल्लास से उपजी भावनाएँ पेट में लक्षणों को ट्रिगर करती हैं। मस्तिष्क का पेट और आंतों पर सीधा संबंध है। संस्थान में योग के साथ-साथ श्रीमद्भगवद् गीता की कक्षाएं भी अनिवार्य कर दी गई हैं।