Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com

परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती // आधुनिक यौगिक व तांत्रिक पुनर्जागरण के प्रेरणास्रोत तथा इस शताव्दी के महानतम संत परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी और विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय व विश्व योगपीठ के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती से किसी साधक ने पूछ लिया, “आज के युग में हमारे जीवन में योग की क्या प्रासंगिकता है?” उस दिन स्वामी जी के सत्संग का यही विषय हो गया। वह एक दृष्टांत के माध्यम से योग की प्रासंगिकता पर बड़ी बातें कह गए। यहां प्रस्तुत है स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के उद्बोधन पर आधारित यह आलेख, जिसे प्रस्तुत किया है वरिष्ठ पत्रकार किशोर कुमार ने।  एक माली के पास एक छोटा-सा…

Read More

परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती // योगी की दृष्टि में सौ फीसदी बीमारी मन से उत्पन्न होती है। यह ठीक है कि बीमारियों में परिस्थिति, परिवेश और प्रदूषण सबका योगदान होता है। पर यह कुप्रभाव भी तब होता है जब मन कमजोर पड़ जाए। मधुमेह रोग नहीं है। यह तो चिकित्सकों द्वारा दिया गया नाम है। हमलोगों के भीतर जन्म से ही काम, क्रोध, ईर्ष्या, राग, व्देष, मोह, लोभ आदि है। रोग यही हैं। हमारे जीवन के साथ इनका जैसे-जैसे विकास होता है, मन की अवस्था बिगड़ती है। मन दुर्बल हो जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि जन्म, व्याधि, जरा और…

Read More

यदि आप गलत जीवन शैली की वजह से उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के शिकार हो चुके हैं तो कुछ कीजिए न कीजिए, योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में उज्जायी प्राणायाम और योग निद्रा योग का अभ्यास नियमित रूप से जरूर कीजिए। अंग्रेजी दवाएं भले इस बीमारी से छुटकारा दिलाने में नाकाम हो यदि आप गलत जीवन शैली की वजह से उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के शिकार हो चुके हैं तो कुछ कीजिए न कीजिए, योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में उज्जायी प्राणायाम और योग निद्रा योग का अभ्यास नियमित रूप से जरूर कीजिए। अंग्रेजी दवाएं भले इस बीमारी से छुटकारा दिलाने में…

Read More

देश के योग संस्थान और योगी कोरोना महामारी के विरूद्ध योद्धा बनकर मानवता की सेवा में जुटे हुए हैं। वे समयानुकूल योग और आयुर्वेद की विधियां और अपने संदेश ऑनलाइन माध्यमों से जनता तक पहुंचा रहे हैं। इनमें ऐसे योगी और योग संस्थान भी शामिल हैं, जो आमतौर पर ऑनलाइन माध्यमों से दूर ही रहते आए हैं। जनमानस पर इसका व्यापक असर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात की अहमियत समझी है और “मन की बात” कार्यक्रम में योग व आयुर्वेद की महत्ता बताकर न केवल योगियों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि योग की तरह ही आयुर्वेद को भी विश्वसनीय तरीके से…

Read More

कोरोना काल में सर्वत्र अज्ञात डर व भय का माहौल है। इस खतरनाक मनोदशा से पूरी दुनिया चिंतित है। ओशो ने इस तरह की मन:स्थितियों पर खूब लिखा। उनके विचार फिर प्रासंगिक हो गए हैं। वे कहते थे – “महामारी से तो लोग मरते ही हैं, महामारी के डर से भी लोग मर जाते हैं। डर से ज्यादा खतरनाक दुनिया में कोई भी वायरस नहीं है।“  सवाल है कि डर से उबरने के उपाय क्या हैं? आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के पास तो केवल नींद की दवा है। जहिर है कि ओशो होते तो ध्यान की बात करते, जीवन-दृष्टि बदलने की बात करते। आज…

Read More

आसनो में भुजंगासन को सर्वरोग विनाशनम् कहा गया है। दुनिया के अनेक भागों में इस पर अनुसंधान हुआ तो पता चला कि इसके लाभों के बारे में हम जितना जानते रहे हैं, वह काफी कम है। इस आसन से शरीर के अंगों को नियंत्रित करने वाला तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम दुरूस्त रहता है। यही नहीं, इसका शक्तिशाली प्रभाव शरीर के सात में से चार चक्रों स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र और विशुद्धि चक्र पर भी पड़ता है। यानी प्राणायाम के कुछ फायदे भी मिल जाते हैं। पर कल्पना कीजिए कि हर्निया, पेप्टिक अल्सर, आंतों की टीबी, हाइपर थायराइड,  कार्पल टनल सिंड्रोम या फिर रीढ़ की हड्डी…

Read More

योगनिद्रा में हाइपोथैलेमस ग्रंथि परानुकंपी नाड़ी संस्थान द्वारा दिल तक पहुंचने वाले विद्युत फाइबर्स को तनाव दूर करने के संकेत भेजती है। परिणाम स्वरूप दिल की धड़कन, रक्तचाप और हृदय की पेशियों पर पड़ने वाला भार कम हो जाता है। हृदय को राहत मिलती है। जो हृदय रोगी विभिन्न प्रकार के योगासन न करने की स्थिति में हों, उन्हें नाड़ी शोधन प्राणायाम के साथ ही योगनिद्रा का अभ्यास जरूर करना चाहिए। कोविड-19 वैसे तो मुख्यत: श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाला संक्रमण है। पर इससे  हृदय रोगियों पर खासा कहर बरपा है। चिकित्सक और चिकित्सा शोध संस्थान की ओर से हृदय रोगियों…

Read More

Patanjali (Sanskrit: पतञ्जलि, IAST: Patañjali, Sanskrit pronunciation: also called Gonardiya or Gonikaputra, was a Hindu author, mystic and philosopher. Estimates based on analysis of his works suggests that he may have lived between the 2nd century BCE and the 5th century CE.[1] Patanjali is regarded as an avatar of Adi Sesha.[2]He is believed to be an author and compiler of a number of Sanskrit works.[1] The greatest of these are the Yoga Sutras, a classical yoga text. There is speculation as to whether the sage Patañjali is the author of all the works attributed to him, as there are a number of known historical authors of the same name. A great deal of scholarship has been devoted over…

Read More

Sivananda Saraswati (or Swami Sivananda; IAST: Svāmī Śivānanda Sarasvatī; 8 September 1887 – 14 July 1963[1]) was a yoga guru,[2] a Hindu spiritual teacher, and a proponent of Vedanta. Sivananda was born in Pattamadai, in the Tirunelveli district of Tamil Nadu, and was named Kuppuswami. He studied medicine and served in British Malaya as a physician for several years before taking up monasticism.He was the founder of the Divine Life Society (DLS) in 1936, Yoga-Vedanta Forest Academy (1948) and author of over 200 books on yoga, Vedanta, and a variety of subjects. He established Sivananda Ashram, the headquarters of the DLS, on the bank of the Ganges at Muni Ki Reti, 3 kilometres (1.9 mi) from Rishikesh, and lived most of his life there.[3][4][5]Sivananda…

Read More