Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com

विज्ञान के इस युग में क्या ऐसा समय आएगा कि हमारे पास ऐसी टाइम मशीन होगी कि हम अपनी उम्र घटाने-बढ़ाने में सक्षम होंगे। पौराणिक कथाओं के पात्रों की तरह तीनों लोकों की यात्रा कर सकेंगे और अतीत और भविष्य को देख पाने में सक्षम हो पाएंगे? ये सवाल बेतुके जान पड़ते हैं। पर अध्ययन और महापुरूषों के साथ सत्संग से मेरी धारणा बदलती जा रही है। लगता है कि ब्रह्मांड में जो चीजें घटित हो रही हैं, वे हमारे जीवन में आज न कल साकार जरूर होंगी। आखिर प्राचीन ऋषि-मुनियों की तरह हम भी तरंगों के जरिए बातचीत कर…

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भक्तिकाल के महान संत अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ानाँ उर्फ रहीम का एक प्रसिद्ध दोहा है – “रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजै डारि। जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि॥“ हम सब बोलचाल में इसी बात को कहते भी हैं कि जहां सुई की जरूरत है, वहां तलवार का क्या काम? पश्चिम के दार्शनिकों और वैज्ञानिकों ने लॉ ऑफ इंस्ट्रुमेंट कहा। पर अब्राहम मास्लो की व्याख्या सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुई – यदि आपके पास केवल और केवल हथौड़ा ही है तो आप हर वस्तु को कील समझने लगते हैं। गुरूत्तर उद्देश्य वाली योग विद्या के साथ व्यवहार रूप में ऐसा…

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नेत्र रोग ही नहीं, हृदय रोग से लेकर अनिद्रा जैसी बीमारियों में भी त्राटक योग बेहतर परिणाम देता है। कुछ विकसित देशों में तो त्राटक पर काफी अध्ययन किया जा चुका है। पर अब भारत में भी इस क्रिया की महत्ता को समझते हुए सीमित संसाधनों के बावजूद कई अध्ययन किए जा चुके हैं। यह सिलसिला जारी है। ज्यादातर अध्ययन आंखों से संबंधित बीमारियों को लेकर किए गए हैं। अब मनोकायिक और हृदय संबंधी बीमारियों में त्राटक के प्रभावों पर अध्ययन पर जोर ज्यादा है। महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग के षटकर्मों में प्रमुख त्राटक क्रिया के बारे में…

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दुनिया भर में योग की बढ़ती स्वीकार्यता की वजह से धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा खड़ी की गई मजहब की दीवारें गिर रही हैं। विभिन्न प्रकार के शारीरिक औऱ मानसिक संकटों से जूझते लोगों के जीवन में योग चमत्कार पैदा करता है तो उन्हें यह स्वीकार करने में तनिक भी कठिनाई नहीं होती कि योग विज्ञान है और इसका किसी मजहब ले लेना-देना नहीं है। यही वजह है कि इस्लामिक देशों में भी सूर्य नमस्कार योग को लेकर पहले जैसा आग्रह नहीं रहा। भारत में भी ऐसे योगाभ्यासियों की तादाद तेजी से बढ़ी है, जो योग को धर्मिक कर्मकांडों का हिस्सा या…

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गुरू पूर्णिमा के मौके पर “उषाकाल” बेवसाइट आप सबके समक्ष औपचारिक रूप से प्रस्तुत करते हुए खुशी हो रही है। यह योग पत्रकारिता का “उषाकाल” है। योग विज्ञान और वैज्ञानिक आध्यात्मवाद की बातें पत्रकारीय दृष्टिकोण से परख कर योगाभ्यासियों के साथ साझा करने का छोटा-सा प्रयास है। बेशक, नई किस्म की पत्रकारिता है। पर आधुनिक युग की जरूरतों के अनुरूप है। ऐसी पत्रकारिता की आवश्यकता शिद्दत से महसूस की जा रही थी। यह निर्विवाद है कि आज की अनेक समस्याओं की जड़ में व्यक्तिगत और सामाजिक असंतुलन है। समाज विज्ञानियों, अर्थशास्त्रियों, वैज्ञानिकों से लेकर वैज्ञानिक संतों तक ने इस विषय…

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किशोर कुमार // अपने देश में योग की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव हो रहा है। अब वह दिन लदने को है, जब आत्म-ज्ञान दिलाने वाली यह महान विद्या कमर दर्द, वजन घटाने आदि तक सीमित होती जा रही थी और पश्चिम के विकसित देश हमारे परंपरागत योग को विज्ञान की कसौटी पर कसने के बाद उसे ऐसे प्रस्तुत करने लगे थे मानों उन्होंने कुछ नया आविष्कार कर दिया हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योग में विशेष दिलचस्पी की वजह से हालात बदले हैं। वैसे तो बिहार योग विद्यालय और कैवल्यधाम जैसे कई योग संस्थान वर्षों से परंपरागत की मशाल जलाए हुए हैं। पर उन्हें…

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किशोर कुमार // योगाभ्यासों के जरिए कैंसर जैसी घातक बीमारी को काबू में करने के दिशा में हम एक-दो कदम नहीं, बल्कि कई कदम आगे बढ़ गए हैं। तीन दशक पहले तक हम इस पड़ताल में थे कि क्या कैंसर से जूझ रहे मरीजों की मानसिक यंत्रणा कम करने में योगाभ्यासों की भूमिका हो सकती है? इस बात को लेकर  दुनिया भर में हुए शोधों के से निष्कर्ष निकला कि खास तरीके से “योग निद्रा” योग और कुछ अन्य योगाभ्यासों से कैंसर मरीजों को मानसिक लाभ ही नहीं मिलता, बल्कि कैंसर के जीवाणुओं का विकास धीमा हो जाता है, कई बार रूक भी जाता है। ऐसे…

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किशोर कुमार // दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल के एक चिकित्सक ने महामृत्युंजय मंत्र की शक्ति से न्यूरो चिकित्सा करने का दावा क्या किया, भारतीय चिकित्सा जगत में इस मंत्र के चमत्कारिक प्रभावों के पक्ष-विपक्ष में बवंडर उठा हुआ है। बड़े-बड़े प्रगतिशील विद्वानों ने हाय-तौबा मचा रखी है। उन्हें लगता है कि यह हिन्दुत्ववादियों के भीतर की कुंठा और छद्म विज्ञान को बढ़ावा देने वाली बात हैं, जबकि कई विकसित देशों में हुए शोधों से साबित हो चुका है कि मंत्रों से जीवन की दशा बदल जाती है। बीमारियां ठीक होती हैं। मन का बेहतर प्रबंधन होता है। मंत्रों की…

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किशोर कुमार // अजपा जप योग को लेकर विश्व के अनेक शोध संस्थानों में हुए शोधों के निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं। साबित हो चुका है कि यह योग साधना अनिद्रा के शिकार मरीजों के लिए ट्रेंक्विलाइजर है तो हृदय रोगियों के लिए कोरेमिन। यदि सामान्य कारणों से सिर में दर्द है तो यह दर्द निवारक दवा का भी काम करता है। हिस्टीरिया और उच्च रक्तचाप के मरीजों पर इसका सकारात्मक प्रभाव है। पर सबसे चमकारिक असर है मोटापे की वजह से उत्पन्न बीमारियों के मामलों में है। अनुसंधानों से साबित हो चुका है कि अजपा जप योग मनुष्य के शरीर…

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इंग्लैंड के खोजी पत्रकार पॉल ब्रंटन पूर्वी जगत की आध्यात्मिक परंपराओं की खोज करते हुए रमणाश्रम पहुंच गए और महर्षि रमण की आडंबर रहित आध्यात्मिक शक्ति से इतने प्रभावित हुए कि वहीं ठहर गए। उनकी खोजी पत्रकारिता की अंतिम परिणति आध्यात्मिक जिज्ञासु के रूप मे हो गई। उन्होंने स्वदेश लौटकर पुस्तक लिखी – ए सर्च इन सीक्रेट इंडिया। उससे पश्चिमी दुनिया को महर्षि रमण की ध्यान साधना से उत्पन्न अलौकिक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति के अद्भुत परिणामों का पता चला। साथ ही अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों के बौनेपन का अहसास भी हुआ। फिर तो वहां वैज्ञानिक अध्यात्म का नया अध्याय शुरू…

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