Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com

योग और अध्यात्म इस शताब्दी की महान शक्ति है। पर इससे हमारा जीवन, हमारा समाज कितना बदलेगा? शास्त्रों में उल्लेख है और प्राचीन काल से ऋषि मुनि कहते रहे हैं कि संसार त्रिगुणात्मक है। यानी तमस्, रजस और सत्व इन तीन गुणों की लीला भूमि है। इसलिए यह भ्रम तो नहीं रहना चाहिए कि शक्तिशाली योग के वैश्विक संस्कृति बनने से तमाम विषमताएं दूर हो जाएंगी। पर इतना जरूर है कि हमारे विचार औऱ ज्ञान की गुणवत्ता बेहतर हो जाएगी। इसलिए कि योग मनुष्य के आंतरिक व्यक्तित्व परिवर्तन का विज्ञान है। इससे जीवन की समस्याओं को समझ कर सकारात्मक दिशा…

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किशोर कुमार अस्थि रोग को बड़े-बुजुर्गों की बीमारी माना जाता रहा है। पर अब यह बीते दिनों की बात हो गई। खासतौर से गठिया के लक्षण किसी भी उम्र के लोगों में प्रकट हो जा रहे हैं। चिकित्सा जगत में ऐसे ही लक्षणों वाला रूमेटाइड आर्थराइटिस जाना-पहचाना शब्द बन चुका है। इस बीमारी के कारण युवाओं की जिंदगी तबाह हो रही है। ऑटोइम्यून बीमारी है, जो ज्यादातर जोड़ों को प्रभावित करती है। चिकित्सा विज्ञानी कहते हैं कि यह बीमारी तब होती है, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, जो आम तौर पर शरीर को संक्रमण और बीमारी से बचाने में मदद…

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किशोर कुमार बीसवीं सदी के महानतम संत और ऋषिकेश स्थित दिव्य जीवन संघ के संस्थापक स्वामी शिवानंद कहते थे कि योग-शक्ति हममें निहित है। आसन का निरन्तर अभ्यास तथा नियमित श्वास-प्रक्रिया का सुव्यवस्थित प्रयास हमारे अन्दर नवीन शक्ति व ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास के लिए जरूरी है। आंतरिक शक्ति प्रस्फुटित होते ही हमारा व्यक्तित्व आकर्षण का केन्द्र बन जाता है। इसलिए कि शरीर में जो कुछ परिवर्तन होते हैं, वे एक आन्तरिक वातावरण उत्पन्न कर देते हैं, जो अपने आस-पास समस्त वस्तुओं को आकर्षित करता है।इस बार बात योगासनों में एक महत्वपूर्ण योगासन “चक्रासन”…

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किशोर कुमार //महान योगी और दार्शनिक महर्षि अरविंद ने कोई नौ दशक पहले कहा था, ‘‘योग साधना का उद्देश्य केवल वैयक्तिक पूर्णता नहीं, वरन् विश्व उत्थान है। योग की राह पर चलने से समृद्धि आएगी, जो वास्तविक स्वराज्य का मार्ग प्रशस्त करती है, समाज व राष्ट्र की नींव को मजबूत व व्यवस्था को सुदृढ़ रखती है और विकास के नए दरवाजे खोलती है।“ सौ साल बीतत-बीतते यह बात सच होती दिख रही है। दो साल पहले अंतर्ऱाष्ट्रीय योग दिवस का थीम था – मानवता के लिए योग और इस साल का थीम था – स्वंय और समाज के लिए योग। ये दोनों ही थीम…

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तमिलनाडु के त्रिचि में मशहूर रामकृष्ण तपोवनम् आश्रम और विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के संस्थापक रहे स्वामी चिद्भवानंद जी ने जीवन पर्यंत स्वामी विवेकानंद से प्रेरित होकर जितने श्रेष्ठ कार्य किए, उनसे दुनिया के कोने-कोने में लोगों को प्रेरणा मिली। वे तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले में सन् 1898 में जन्मे थे और सन् 1985 में अपना भौतिक शरीर त्याग दिया था। उन्होंने अपने जीवन-काल में वैसे तो 186 आध्यात्मिक पुस्तकें लिखीं। पर श्रीमद्भगवत गीता पर उनके कार्य उल्लेखनीय हैं। युवाओं और विद्यार्थियों के लिए श्रीमद्भगवद् गीता की महत्ता के बारे में तो हमारे वैज्ञानिक संत सदियों से बतलाते रहे हैं।…

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    साधु-संन्यासियों की संगठित फौज नहीं, उनका कोई नगर नहीं, राजधानी नहीं….यहां तक कि ज्ञात किला भी नहीं। पर ये लड़ाकू साधु-संन्यासी अंग्रेजी फौज से दो-दो हाथ करने से नहीं घबड़ातें। उन्हें धूल चटा देते हैं….। कलकत्ते में बैठकर पूरे देश पर नियंत्रण बनाने का ख्वाब रखने वाले गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स को ये बातें बेहद परेशान करती थीं। वे कई बार साधु-संन्यासियों की हरिध्वनि से वे कांप जाते थे। उनके सिपाही भी भयभीत रहने लगे थे। ”वंदे मातरम्…” गीत के रचयिता कवि-उपन्यासकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय के कालजयी उपन्यास “आनंदमठ” में अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध का यह वृतांत बड़ी खूबसूरती…

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अध्यात्म जीवन को नियंत्रित नहीं, बल्कि रूपांतरित कर देता है। दुनिया भर में यह समझ जैसे-जैसे बढ़ रही है, फिल्मकारों की रूचि भी इन विषयों में बढ़ती जा रही हैं। आध्यात्मिक फिल्मों के निर्माण के प्रति बढ़ती रूचि को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। हाल ही भारत में एक फिल्म रिलीज हुई है – कर्तम् भुगतम्। यानी जो जैसा करेगा, वैसा ही फल पाएगा। हालांकि इस फिल्म में कर्म सिद्धांतों पर उस तरह फोकस नहीं है, जैसा कि किसी आध्यात्मिक साधक की अपेक्षा हो सकती है। इस फिल्म में जादू-टोने से अगाह करते हुए बताने की कोशिश है कि…

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किशोर कुमार //   चिकित्सा विज्ञान ने भी बिहार योग या सत्यानंद योग का लोहा मान लिया है। इस योग के प्रवर्तक और बिहार योग विद्यालय के संस्थापक परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के योग से रोग भगाने संबंधी अनुसंधानों को आधार बनाकर अगल-अलग देशों के चिकित्सकों व चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों ने अध्ययन किया और स्वामी जी के शोध नतीजों को कसौटी पर सौ फीसदी खरा पाया। बिहार के मुंगेर स्थित विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय की स्थापना के 50 साल पूरे होने पर मुंगेर में 2013 में विश्व योग सम्मेलन हुआ तो उसमें भी बिहार योग या सत्यानंद योग पर…

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श्रीमद्भगवतगीता के परिप्रेक्ष्य में अमेरिकी परमाणु विज्ञान के जनक माने जाने वाले आध्यात्मिक वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर की जीवनी पर बेहद लोकप्रिय और शिक्षाप्रद फिल्म बन सकती थी। दुनिया को बतलाया जा सकता था कि आध्यात्मिक शक्ति-संपन्न विज्ञान किस तरह कल्याणकारी होता है और इसका अभाव विध्वंस का कारण बन जाता है। पर मशहूर फिल्मकार क्रिस्टोफ़र एडवर्ड नोलेन ने गूढ़ार्थ समझे बिना श्रीमद्भगवतगीता को फिल्म में जिस तरह प्रस्तुत किया, उससे उनकी दुकानदारी भले चल गई। पर ओपेनहाइमर का आध्यात्मिक संदेश देने में नाकामयाब हो गए। साथ ही श्रीमद्भगवतगीता का गलत ढंग से प्रस्तुत करके करोड़ों लोगों की आस्था को…

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किशोर कुमार “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….. गोकुल के भगवान की, जय कन्हैया लाल की…… “ जन्माष्टमी के मौके पर ब्रज में ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया के भक्त इस बोल के साथ दिव्य आनंद में डूब जाएंगे। सर्वत्र उत्सव, उल्लास और उमंग का माहौल होगा। भजन-संकीर्तन से पूरा वातावरण गूंजायमान होगा। ऐसा हो भी क्यों नहीं। श्रीकृष्ण विश्व इतिहास और वैश्विक-संस्कृति के एक अनूठे व्यक्ति जो थे। विश्व के इतिहास में वैसा विलक्षण पुरुष फिर पैदा नहीं हुआ। वे लीलाधर थे, महान् दार्शनिक थे, महान् वक्ता थे, महायोगी थे, योद्धा थे, संत थे….और भी बहुत कुछ। तभी पांच हजार साल बाद भी सबके हृदय में…

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