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Author: Kishore Kumar
Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.com
सहज योग विधियों के अद्भुत नतीजे
अब कोरोनाकाल के लिए अनुशंसित ढेर सारी योग विधियों में उलझे रहने के बदले ऐसी योग विधियों का चयन करने की जरूरत है, जिन्हें अमल में लाना आसान हो। पर उनके परिणाम आज की जरूरतों के अनुरूप हों। ऐसा योगमय जीवन स्वस्थ जीवन का आधार बनेगा। योग विधियों के विश्लेषण से समझ बनी है कि यदि जीवन में कोई बड़ा उथल-पुथल न हो तो एक घंटा समय निकाल कर चंद योगाभ्यासों से स्वस्थ जीवन का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। इसके लिए आसनों में पवन मुक्तासन भाग -1 के चार आसन – स्कंध चक्र, ग्रीव संचालन, ताड़ासन व तिर्यक…
खेल बिगाड़ते योग के नीम हकीम
आपके मन में यह सवाल जरूर होगा कि आखिर इस तरह की बात क्यों की जा रही है। हम सभी जानते हैं कि नेशनल लॉकडाउन के कारण सर्वत्र लाइव योग सत्रों की धूम है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के योग संस्थानों से लेकर शहर और मुह्ल्ले तक के योगाचार्यों और योग प्रशिक्षकों की ओर से लाइव योग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। योगाभ्यासियों को ऐसी सुविधा पहले कभी नहीं थी। संकटकाल में योग संस्थानों, योगाचार्यों और योग प्रशिक्षकों का यह बहुमूल्य योगदान है। पर इसका दूसरा पक्ष डरावना है। अनेक स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण योग प्रशिक्षण का अभाव स्पष्ट रूप से…
सत्यानंद योग की वैज्ञानिक पद्धतियों की तीन दिवसीय साधना से लाभान्वित हुए योगाभ्यासी
नई दि्लली। महज तीन दिनों की योग साधना और योगाभ्यासियों को विशेष अनुभूति का अहसास। यह परिघटना असाधारण है। यह सब कुछ घटित हुआ विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय के तीन दिवसीय योग साधना शिवर में, जो 2-4 अगस्त तक दिल्ली के छत्तरपुर में आयोजित किया गया था। वरिष्ठ संन्यासी स्वामी शिवराजानंद सरस्वती शिविर में “सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे संतु निरामया” के मनोभाव से शास्त्रसम्मत और बीसवीं सदी के महान संत परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा शोधित शुद्ध योग का प्रचार करने के लिए गए थे और उनकी भावना फलीभूत हो गई। प्रभावशाली योग विधियां, उनके बारे में ओजपूर्ण व्याख्यान…
चिकित्सा विज्ञान ने भी माना बिहार योग का लोहा
किशोर कुमार // चिकित्सा विज्ञान ने भी बिहार योग या सत्यानंद योग का लोहा मान लिया है। इस योग के प्रवर्तक और बिहार योग विद्यालय के संस्थापक परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के योग से रोग भगाने संबंधी अनुसंधानों को आधार बनाकर अगल-अलग देशों के चिकित्सकों व चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों ने अध्ययन किया और स्वामी जी के शोध नतीजों को कसौटी पर सौ फीसदी खरा पाया। बिहार के मुंगेर स्थित विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय की स्थापना के 50 साल पूरे होने पर मुंगेर में 2013 में विश्व योग सम्मेलन हुआ तो उसमें भी बिहार योग या सत्यानंद योग पर वैज्ञानिक…
एक उत्सव स्वयं को जानने का
किशोर कुमार // योग की बढ़ती स्वीकार्यता के बीच अनेक स्तरों पर उसकी व्याख्या गलत ढ़ंग से कर दी जा रही है। हाल यह है कि महर्षि घेरंड और महर्षि स्वात्माराम द्वारा प्रतिपादित योग की प्रक्रिया को कई बार महर्षि पतंजलि का बता दिया जाता है। इतना ही नहीं, योग के स्वयंभू अगुआ कई प्रकार के व्यायाम को राज योग और राज योग को हठ योग बताने में भी पीछे नहीं रहते। आज महर्षि पतंजलि के नाम पर जो आसन कराया जाता है, उसे राज योग कह दिया जाता है, जबकि वह हठ योग है और योग की यह प्रक्रिया महर्षि पतंजलि की…
शिव-पार्वती संवाद और पड़ गई हठयोग की बुनियाद
किशोर कुमार // भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय सावन महीने में आदियोगी शिव-पार्वती संवाद, एक मछली का पुनर्जन्म मत्स्येंद्रनाथ के रूप में होना और हठयोग व नाथ संप्रदाय की चर्चा किसी न किसी रूप में हो ही जाती है। शिव संहित से लेकर शैवागमों तक में उल्लेख है कि भगवान शिव ने सबसे पहले माता पार्वती को ही योग की शिक्षा दी थी, जिनमें हठयोग से लेकर ध्यान तक की यौगिक विधियां शामिल हैं। यहां बात हठयोग की होगी। पर, पहले शिव-पार्वती संवाद, जो युवापीढ़ी के लिए अमृत समान है। कथा है कि भगवान शिव पार्वती जी को बतला…
भक्ति की शक्ति और महादेव
किशोर कुमार // बीसवीं सदी के महान संत स्वामी शिवानंद भगवान शिव को प्रिय सावन महीने और भक्ति की बात आते ही अपने शिष्यों को किसी पूरन चंद की कथा जरूर सुनाते थे। बताते, पूरन चंद वांछित फल पाने के लिए आध्यात्मिक साधनाएं किया करता था। पर लंबे समय में कोई फल न मिलता दिखा तो गुरु की शरण में पहुंच गया। कहने लगा, “नारायण की मूर्ति की छह महीने पूजा की। कोई लाभ नहीं हुआ। कृपया कोई अधिक शक्तिशाली उपाय बताइए।” गुरु ने पूरन को शिव की मूर्ति देते हुए कहा, “शिव पंचाक्षर मंत्र, ‘ॐ नमः शिवाय’ की साधना…
Astrology
Astrology is a method of predicting mundane events based upon the assumption that the celestial bodies—particularly the planets and the stars considered in their arbitrary combinations or configurations (called constellations)—in some way either determine or indicate changes in the sublunar world
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