Author: Neha Parashar

बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती खुशी पर सर्वाधिक जोर देते हुए कहते हैं कि योग-मार्ग पर आगे बढ़ने से पहले खुश रहने की कला अनिवार्य रूप से विकसित कर लेनी चाहिए। इस बात को चुनौती के रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए। वे खुशी की महत्ता बताने के लिए पौराणिक कथा हवाला देते हैं – “बहुत हज़ारों वर्ष पहले, देवी पार्वती ने अपने प्रिय और गुरु भगवान शिव से पूछा, इस सृष्टि में, इस प्रकट जगत में, इस संसार और प्रकृति में, सब कुछ क्षणिक है, कुछ भी स्थायी नहीं है। यहाँ तो इतना दुःख, पीड़ा,…

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पारंपरिक परिधान साड़ी में योग का प्रयोग स्वागत योग्य है। आधुनिक युग में योग जैसे ही योगा बना, साड़ी जैसे पारंपरिक परिधान से मानो नाता तोड़ दिया गया। कसरती स्टाइल के योगा को ग्लैमरस दिखाने के लिए शालीनता की तमाम सीमाओं को तोड़ते हुए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं।  पर, योग के लिए साड़ी के प्रयोग को रूपक के तौर पर लिया जाना चाहिए। परिधान और भी हैं, जो देशकाल के लिहाज से धारण किए जाते हैं और शालीन भी होते हैं। वैसे, साड़ी भारत का सबसे प्रतिनिधि परिधान है। भारत के गौरवशाली इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो…

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