गीता सुपरसाइट यानी इंटरनेट पर भारतीय दार्शनिक ग्रंथों का भंडार। इस तरह के कार्य टुकड़ों में तो संगठनों या व्यक्तियों किया है। पर किसी एक प्लेटफार्म पर इतना व्यापक कार्य कही नहीं है। आईआईटी, कानपुर की वजह से यह कार्य संभव हो सका है। वेबसाइट लिंक इस प्रकार है – https://www.gitasupersite.iitk.ac.in/, जिस पर वेद हो या उपनिषद, ब्रह्मसूत्र हो या योगसूत्र, महाभारत हो या रामायण प्राय: सभी वैदिक ग्रंथ अंग्रेजी सहित ग्यारह भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराए गए हैं।
सभी मूल ग्रंथ संस्कृत भाषा में हैं। वेबसाइट इस तरह तैयार किया गया है कि दो ग्रंथों का तुलनात्मक अध्ययन एक ही स्क्रीन पर संभव है। भारतीय भाषाओं के मामले में आमतौर पर फॉट्स को लेकर समस्याएं आती रही हैं। पर इस वेबसाइट पर डायनामिक फॉट्स के उपयोग किए जाने से फॉट्स डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती। इस वेबसाइट ने वैदिक ज्ञान हासिल करने वालों के बीच धूम मचा रखी है। इसका ट्राफिक तेजी से बढ़ रहा है।
यह परियोजना कोई दो दशक पुरानी है। केवल नए अवतार के रूप में अब सामने आया है। दरअसल, इंटरनेट तक आम लोगों की पहुंच होने से पहले डॉस तकनीक की सहायता से अनेक वैदिक ग्रंथों का डिजिटाइजेशन किया गया था। आईआईटी, कानपुर के डॉ टीवी प्रभाकर ने सन् 1989 में चिन्मय इंटरनेशनल फाउंडेशन के आर्थिक सहयोग से इस परियोजना का श्रीगणेश किया था। शुरू में स्वामी चिन्मयानंद की पुस्तकों और गीता को डॉस वर्जन में कंप्यूटर पर उपलब्ध कराया गया था। पर सूचना तकनीकों के अत्याधुनिक होते जाने के बाद नए सिरे से काम करने की जरूरत आ पड़ी और उस परियोजना को विस्तार देना भी संभव हो सका है। डॉ टीवी प्रभाकर आज भी इस महती कार्य की अगुआई कर रहे हैं।
इस खबर को विस्तार से नीचे के लिंक के जरिए पढ़ा जा सकता है –