अयोध्या की पहचान विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रुप में बन जाए, इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या मास्टर प्लान 2031 की समीक्षा करते हुए कुछ ऐसा ही विजन प्रस्तुत किया है। उसके मुताबिक, कोशिश है कि अयोध्या में प्राचीन आस्था और आधुनिकता का अनुपम संगम हो जाए। योजना के तहत अयोध्या को ज्ञान, उत्सव और हरित ऊर्जा की स्मार्ट नगरी के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें तीर्थयात्रियों के लिए सुगम बुनियादी ढांचा, विविध पर्यटन परिपथ, हेरिटेज वॉक और ऐतिहासिक सर्किट शामिल होंगे।
विकास क्षेत्र को 18 जोनों में विभाजित कर भूमि उपयोग का वैज्ञानिक वितरण सुनिश्चित किया गया है; 2031 तक अनुमानित 23.94 लाख आबादी के लिए 52.56% आवासीय, 5.11% व्यावसायिक, 4.65% औद्योगिक, 10.28% सार्वजनिक उपयोग, 12.20% परिवहन और 14.31% हरित क्षेत्र निर्धारित हैं। मुख्यमंत्री ने मिश्रित उपयोग व औद्योगिक भूमि बढ़ाने तथा पंचकोसी-चौदहकोसी परिक्रमा मार्ग के किनारे धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जमीन आरक्षित करने के निर्देश दिए।
वर्तमान 11 लाख जनसंख्या 2031 में 24 लाख और 2047 में 35 लाख होने का अनुमान है, जिसके अनुरूप नई टाउनशिप, भव्य प्रवेश द्वार, मल्टीलेवल पार्किंग, चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, रिंग रोड, अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट, मंदिर संग्रहालय, सौर ऊर्जा संयंत्र, पंचतारा होटल और विश्वस्तरीय नागरिक सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं। लखनऊ, प्रयागराज, गोंडा व अंबेडकर नगर मार्गों पर बस-ट्रक टर्मिनल व पार्किंग सुनिश्चित की जाएगी। अब तक 8,594 करोड़ रुपये की 159 परियोजनाएँ स्वीकृत हो चुकी हैं, जो स्थानीय युवाओं को रोजगार और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बल प्रदान करेंगी।
पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सरयू तटबंधों की सुरक्षा, हरित पट्टियों का संरक्षण, सीवेज ट्रीटमेंट व ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में स्वदेशी नवाचार अपनाए जाएंगे। अनियोजित प्लॉटिंग पर सख्ती बरती जाएगी और सभी विकास मास्टर प्लान के अनुरूप होंगे। यह योजना केवल धार्मिक पर्यटन तक सीमित न रहकर आर्थिक, सांस्कृतिक व सामाजिक उन्नति का समग्र मॉडल है, जो अयोध्या को स्मार्ट, सुरक्षित, आत्मनिर्भर और भारत की आत्मा का जीवंत प्रतीक बनाते हुए आस्था, सौंदर्य व समृद्धि का वैश्विक केंद्र स्थापित करेगी।

