Author: Abhilasha Sinha

ज्योतिष शास्त्र और योग शास्त्र दोनों ही सृष्टि के आरंभ से ही एक दूसरे के पूरक है। तभी पराशर मुनि जैसे ऋषियों ने ज्योतिष विद्या की विशद व्याख्या की तो योग ज्ञान भी प्रकाशित किया।  ज्योतिष विद्या से जिस तरह हम ग्रहों के प्रभावों को समझने की कोशिश करते हैं और उन प्रभावों को अपने अनुकूल बनाने के लिए शास्त्रसम्मत यत्न करते हैं। उसी प्रकार शरीर और मन के अनुकूलन के लिए योग विद्या का सहारा लेते हैं। योगशास्त्र से हमें ज्ञात हो चुका है कि मनुष्य के शारीरिक, मानिसक और आध्यात्मिक विकास की कुंजी योग के पास है। आधुनिक…

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