इसमें दो मत नहीं कि केंद्र की मोदी सरकार योग के मामले में उल्लेखनीय काम कर रही है। अब तक की किसी सरकार ने योग को इतनी गंभीरता से नहीं लिया था। ऐसे में योग के मामले में केंद्र सरकार के काम में उच्चतम न्यायालय ने दखल देने से मना करके ठीक ही किया। स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए यह ठीक नहीं कि अदालत सरकार के हर काम में दखल दे। पर यह भी सही है कि जिस याचिका के आधार पर उच्चतम न्यायालय ने सरकार के काम में दखल देने से मना किया है, उस याचिका के कई तथ्यों में दम है।
वैसे, यह अजीब बात है कि जो भारत योग के मामले में विश्व गुरू रहा है, उसे योग को उचित स्थान पाने के लिए वर्षों मशक्कत करनी पड़ी। दूसरी तरफ फ्रांस जैसे देश में, जहां की शिक्षा नीति ऐसी है कि किसी धार्मिक सिद्धांत या आध्यात्मिक दर्शक का समावेश नहीं हो सकता, वहां सन् 2012 से किंडरगार्डेन से लेकर कॉलेज स्तर तक योग शिक्षा दी जा रही है। चौंकाने वाली बात यह कि भारत के परंपरागत योग का वैश्विक संस्थान बिहार योग विद्यालय पूरे फ्रांस में योग का अलख जगा रहा है। वहां की सरकार पूरी तरह इस संस्था पर निर्भर है। काम में कोई सरकारी दखल नहीं।
योग को लेकर उच्चतम न्यायालय के आज के फैसले से संबंधित खबर नीचे के लिंक के जरिए विस्तार से पढ़ा जा सकता है।
https://hindi.livelaw.in/category/news-updates/sc-dismisses-plea-seeking-development-broadcast-of-covid-yoga-protocols-160366
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अदालत का फैसला सही, योग के मामले में सरकार अपना काम करे
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